वुमेन रिजर्वेशन बिल पर Latest अपडेट – क्या बनेगी संसद में 33% सीटें महिलाओं के लिए

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वुमेन रिजर्वेशन बिल पर Latest अपडेट – क्या बनेगी संसद में 33% सीटें महिलाओं के लिए

 

भारत में Women’s Reservation Bill, जिसे Nari Shakti Vandan Adhiniyam के नाम से जाना जाता है, लोकसभा और राज्य विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की पेशकश करने वाला एक ऐतिहासिक विधेयक है। यह बिल संसद की दोनों सदनों—लोकसभा (Lok Sabha) और राज्य विधानसभाओं (State Assemblies) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया था।

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➤ विधेयक की प्रमुख बातें:

 

19 सितंबर 2023 को Union Cabinet में Bill को मंजूरी दी गई और उसी सत्र में Lok Sabha में Constitution (One Hundred and Twenty-Eighth Amendment) Bill, 2023 पेश किया गया।

 

20 सितंबर 2023 को Lok Sabha में पारित हुआ—454 मतों से समर्थन, केवल 2 विरोध।

 

21 सितंबर 2023 को Rajya Sabha ने बिल को unanimously पास कर दिया। इसमें सभी 214 सदस्यों ने समर्थन किया।

 

28 सितंबर 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी, और इसे Gazette Notification के जरिए कानून (Act) में रूपांतरित किया गया।

 

 

इस प्रकार अब यह विधेयक एक पूर्ण संवैधानिक संशोधन अधिनियम (Constitution (106th Amendment) Act, 2023) बन चुका है।

 

 

 

➤ कार्यान्वयन की सीधी स्क्रिप्ट:

 

बिल अपने आप में कानून बन चुका है, लेकिन लागू होगा केवल डिलिमीटेशन (Delimitation) के बाद—जो अगली जनगणना (Census) आधारित होगी और जिसे 2026 में पूरा किया जाना तय है।

 

इसका मतलब स्पष्ट है: 33% women reservation प्रभावी रूप से केवल 2029 लोकसभा चुनाव में लागू हो सकती है।

 

प्रतिनिधित्व को समय-समय पर बदलने (rotate) की व्यवस्था रखी गई है: हर Delimitation के बाद वार्ड/constituency में महिलाओं के लिए सीटें फेरबदल हो सकती हैं।

 

 

 

 

➤ समर्थन और आलोचना:

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल की आवश्यकता को 27 वर्षों से लंबित इस मुद्दे का समाधान बताया, उसे “noble work” कहा और दोनों सदनों में consensus support के लिए अपील की।

 

Home Minister अमित शाह ने कहा कि बिल की देरी को Delimitation से जोड़ना संवैधानिक दृष्टि से आवश्यक था, ताकि चुनाविक सीटें समुचित वर्गीकरण और समीक्षा के साथ तय हो सकें।

 

विपक्ष में कांग्रेस, Mallikarjun Kharge और कई अन्य नेताओं ने OBC women quota के लिए “quota within quota” की मांग की है। उन्होंने immediate implementation की भी मांग उठाई।

 

K Kavitha (Telangana) ने Bill को “post‑dated cheque” बताया—कहते हुए कि अभी कोई स्पष्ट तिथि नहीं मिली और यह सिर्फ प्रतीकात्मक कदम है।

 

 

 

 

➤ स्थिति: अब कहाँ खड़ा है मुद्दा?

 

पहलू विवरण

 

विधेयक की स्थिति अब Act बन चुका है—राष्ट्रपति की मंजूरी और Gazette Notification भी हो चुकी है।

Implementation की तारीख लागू होगा 2029 में—पहले Delimitation पूरा होना जरूरी।

असाधारण बाधाएँ OBC quota within quota, immediate implementation की मांग जारी है। अधिकांश राज्य इसमें समर्थन दे रहे हैं।

उद्देश्य लोकतंत्र को मजबूत बनाना, महिला प्रतिनिधित्व बढ़ाना (वर्तमान ~15%)।

 

 

 

 

➤ आगामी कदम क्या होंगे:

 

1. Census 2026: अगले जनगणना के परिणाम आने के बाद Delimitation Commission द्वारा सीटों का पुनर्निर्धारण।

 

 

2. निर्वाचन क्षेत्र निर्धारण: कौन‑सी सीटें women‑reserved होंगी, इसे चुनाव आयोग तय करेगा।

 

 

3. रोटेशन नीति: 15‑साल की अवधि में हर Delimitation के साथ सीटों का घुमाव रहेगा—एक चुनाव में जो सीट women के लिए रिज़र्व थी, अगले में न हो, लेकिन अन्य सीटें हों।

 

 

4. राज्य सरकारें और पार्टी रणनीति: कई राज्य अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, और विपक्षीय दल “quota within quota” और caste census की मांग को जोर दे रहे हैं।

 

 

 

 

 

➤ क्यों है यह कदम इतना मायने रखता?

 

महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व अभी भी बहुत कम है—Lok Sabha में केवल ~15% women MP हैं, कुछ विधानसभा में तो 10% से भी नीचे।

 

इस विधेयक के लागू होने से सार्वजनिक नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।

 

यह जाति‑धर्म‑लिंग के आधार पर समान रूप से अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में एक संवैधानिक बदलाव है।

 

महिलाएँ अधिक प्रतिनिधि बनेंगी, जिससे Governance में diversity और gendersensitivity बढ़ेगी।

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