MGNREGA 2025‑26 बजट अपडेट – क्या बदलेगा ग्रामीण रोजगार के लिहाज़ से? पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें
भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2025‑26 के लिए MGNREGA/Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act पर ₹86,000 करोड़ की ही बजट-अलोकेशन दी है, जो पिछली वित्तीय वर्ष की Revised Estimate (RE) की बराबर है—इसमें कोई वृद्धि नहीं हुई है।
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➤ मुख्य तथ्य और बजट अपडेट
**₹86,000 करोड़** वही राशि है जो FY 2024‑25 के लिए RE के रूप में तय थी, और FY 2025‑26 BE में भी बनी रही।
ग्रामीण विकास मंत्रालय की कुल बजट में MGNREGA का हिस्सा करीब 46% है; पूरे DEPT की allocation बढ़ी लेकिन MGNREGA में कोई वृद्धि नहीं आई।
Reuters के अनुसार rural employment और food–fertilizer subsidy मिलाकर ₹4.57 ट्रिलियन का बजट है, जिसमें MGNREGA के लिए ₹86,000 करोड़ रखे गए हैं, जो लगभग स्थिर हैं।
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➤ MGNREGA पर खर्च को लेकर नई पाबंदियाँ
मार्च 2025 में Nirmala Sitharaman ने बजट पेश करते हुए कहा कि कभी भी मांग बढ़ने पर अतिरिक्त फंड मांगा जाएगा, लेकिन असल-अलोकेशन वहीं है।
मंत्रालय ने पहली बार FY 2025‑26 के पहले छह महीनों (अप्रैल–सितंबर) के लिए खर्च को केवल 60% तक सीमित रखा है। यानी केवल ₹51,600 करोड़ तक ही इस अवधि में MGNREGA पर खर्च की अनुमति है।
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➤ इससे ग्रामीण गरीबों को क्या प्रभाव हो सकता है?
मांग‑चालित इस योजना के तहत ग्रामीण परिवारों को 100 दिन रोजगार की कानूनी गारंटी होती है। अगर समय पर काम नहीं मिलता, तो बेरोज़गारी भत्ता मिलता है। सीमित खर्च के कारण बाजीग्रस्त ग्रामीणों को रोजगार या भुगतान में देरी का सामना करना पड़ सकता है।
कांग्रेस के Mallikarjun Kharge ने इस कदम को “संविधान के खिलाफ” करार देते हुए कहा है कि MGNREGA को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा:
> “मोदी सरकार गरीबों की जीवन-रेखा मनरेगा को तड़पा-तड़पा कर ख़त्म करने की कवायद में जुटी है।”
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➤ राज्यों की प्रतिक्रिया और उपयोग की स्थिति
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री ने बताया कि FY 2025‑26 में जल-संरक्षण, खेत निर्माण आदि कार्यों के माध्यम से 32 लाख लोगों को रोजगार दिया गया है, और लगभग ₹1,500 करोड़ wages वितरित किए गए।
उत्तर प्रदेश में FY 2025‑26 की पहली तिमाही में, ₹4,400 करोड़ से अधिक में से 57.41% राशि कृषि एवं सहायक गतिविधियों में खर्च की गई—यह 2024‑25 की तुलना में 13 प्वाइंट अधिक है। यह निवेश ग्रामीण कृषि अवसंरचना को मजबूत करने की रणनीति को दर्शाता है।
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➤ आलोचना और मांगें
विपक्षी दलों ने मांग की है कि MGNREGA की दैनिक मजदूरी को ₹400 तक बढ़ाया जाए, काम की सीमा को 100 से बढ़ाकर 150 दिन किया जाए और Aadhaar‑based DBT अनिवार्यता हटाई जाए।
संसदीय Standing Committee ने भी मजदूरी में राज्यों के बीच भिन्नता पर चिंता व्यक्त की थी। कुछ क्षेत्रों में मजदूरी ₹210‑220/day तक सीमित है।
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➤ निष्कर्ष – क्या बदलने वाला है?
Recent Budget में MGNREGA के लिए किसी प्रकार का वित्तीय विस्तार नहीं हुआ, लेकिन मौजूदा allocation बनाए रखी गई है। वहीं, नए spending cap (पहले छह महीनों में 60%) ने इस योजना की मूल मांग-चालित संरचना को चुनौती दी है। हालांकि ग्रामीण राज्यों जैसे मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने बेहतर उपयोग और कार्यान्वयन दिखाया है, लेकिन पिछले वर्षों से मांग बढ़ी हुई है, जिससे निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ₹86,000 करोड़ स्थिर बजट पर्याप्त नहीं है।
राज्य स्तर पर अवसंरचना पर निवेश बढ़ा है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि कुल रोजगार में गिरावट आई है। उदाहरण के तौर पर अप्रैल में कार्य मांग 20.1 मिलियन पर पहुंची, जो पिछले साल से 6.6% कम है, और यह 2020‑21 के बाद सबसे कम रिकॉर्ड थी।
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➤ भविष्य के संभावित घटनाक्रम:
1. सरकार संभवतः साल के मध्य में (Sep–Oct 2025 तक) Requests for additional fund allocation करेगी अगर मांग बढ़ी तो।
2. ग्रामीण distress बढ़ा तो विपक्ष और सामाजिक संगठन फिर से wage hike और काम की अवधि बढ़ाने की मांग उठाएंगे।
3. सफलता पाने वाले राज्यों में MNREGA की रणनीतियों को दूसरे राज्यों में अपनाने पर जोर होगा।
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➤ सारांश तालिका:
विषय स्थिति
Budget Allocation ₹86,000 करोड़ (FY 2025‑26 BE), बिल्कुल स्थिर
Spending Cap पहले छह महीनों के लिए खर्च सीमित किया गया (60%)
रोजगार मांग अप्रैल में गिरावट, 20.1 मिलियन से (–6.6%)
राज्य उपयोग MP: 32 लाख रोजगार ₹1,500 करोड़; UP: agri में 57% खर्च
आलोचना Congress ने मजदूरी ₹400/day, रोज़गार दिनों में वृद्धि की मांग की
संभावित कदम अतिरिक्त धन मांगना, भविष्य की मांग पर आधारित एडजस्टमेंट
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🇮🇳 कुल मिलाकर, MGNREGA के बजट में किसी तरह की वृद्धि न होना, और खर्च सीमा लागू करना ग्रामीण रोजगार सुरक्षा की मूल भावना को कमजोर कर सकता है। हालांकि कुछ राज्यों में बेहतर उपयोग हुआ है, लेकिन मांग अभी भी अधिक
है। आगे की रणनीति इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार अतिरिक्त मांग पर किस हद तक नया allocation करेगी।