गुलदार की दहाड़ पर भारी पड़ी माँ की ममता… पूँछ पकड़ कर छीन लाई अपने बेटे की ज़िंदगी!

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गुलदार की दहाड़ पर भारी पड़ी माँ की ममता… पूँछ पकड़ कर छीन लाई अपने बेटे की ज़िंदगी!

 

टिहरी गढ़वाल के प्रतापनगर ब्लॉक के एक सुदूर गांव ओनाल में वो हुआ, जो आमतौर पर सिर्फ फिल्मों में देखा जाता है। रात का वक्त था, चार वर्षीय गणेश अपने घर के आंगन में खेल रहा था, और माँ अंगूरा देवी कुछ ही दूरी पर खड़ी थी। तभी अचानक जंगल की ओर से आए एक गुलदार ने मासूम बच्चे पर हमला बोल दिया। पल भर की देरी होती तो शायद यह खबर आज किसी और रूप में होती। लेकिन उस माँ ने जो किया, उसने सिर्फ अपने बच्चे को ही नहीं बचाया, बल्कि पूरे समाज को यह सिखाया कि ममता जब जंग पर उतरती है, तो वह किसी शेर से कम नहीं होती।

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गुलदार ने बच्चे को दबोच लिया था, लेकिन माँ ने बिना एक पल गंवाए पूरी ताकत से गुलदार की पूँछ पकड़ ली और दहाड़ते जानवर से अपने बेटे को खींच लिया। अचानक हुए इस पलटवार से गुलदार घबरा गया और मासूम को छोड़कर भाग निकला। हालांकि गुलदार के नाखूनों से गणेश के सिर और कान पर गहरे घाव हो गए और खून बहने लगा। परिजन घायल बच्चे को तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौंड लम्बगांव ले गए, जहां प्राथमिक इलाज के बाद उसे जिला अस्पताल बोराड़ी रेफर कर दिया गया। मौके पर वन विभाग की टीम भी पहुंची और घटना का निरीक्षण किया।

 

अब पूरे क्षेत्र में माँ अंगूरा देवी के साहस की चर्चा हो रही है। जिसने ये साबित कर दिया कि जंगल का राजा हो या आदमखोर दरिंदा, माँ की ममता के आगे सब फीके हैं। ग्रामीणों ने सरकार से माँ अंगूरा देवी को सम्मानित करने की मांग की है, क्योंकि ऐसे साहसिक कृत्य रोज़ नहीं होते – ये वो कहानी है जो पीढ़ियों तक सुनाई जाएगी, और हर बार माँ की ममता की मिसाल बनकर दिलों को छू जाएगी।

 

 

 

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