राष्ट्रीय अंतरिक्ष : भारत के स्पेस मिशन, तकनीकी उपलब्धियाँ और भविष्य की दिशा

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राष्ट्रीय अंतरिक्ष : भारत के स्पेस मिशन, तकनीकी उपलब्धियाँ और भविष्य की दिशा

 

राष्ट्रीय अंतरिक्ष (National Space) आज किसी भी देश की प्रगति और शक्ति का सबसे बड़ा प्रतीक बन चुका है, भारत ने पिछले कुछ दशकों में अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक (Space Science & Technology) में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं और ISRO (Indian Space Research Organisation) की मेहनत ने भारत को दुनिया की शीर्ष स्पेस पावर की सूची में ला खड़ा किया है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल ब्रह्मांड की खोज करना है बल्कि इसे जन-जीवन की सुविधा, रक्षा सुरक्षा, कृषि, मौसम पूर्वानुमान, संचार, नेविगेशन और रिसर्च के लिए उपयोगी बनाना भी है।

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भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम 1962 में डॉ. विक्रम साराभाई की पहल पर शुरू हुआ था। उस समय लक्ष्य था कि अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग देश के विकास के लिए किया जाए। 1969 में ISRO की स्थापना के साथ यह सपना वास्तविकता में बदलने लगा। 1975 में भारत ने अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च किया और तभी से अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की यात्रा तेज़ी से आगे बढ़ने लगी। इसके बाद INSAT (Indian National Satellite System), PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle), GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) और अब Gaganyaan जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स ने भारत की अंतरिक्ष क्षमता को विश्व स्तर पर स्थापित कर दिया।

 

राष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशनों की सबसे बड़ी उपलब्धियों में चंद्रयान और मंगलयान शामिल हैं। Chandrayaan-1 ने 2008 में चंद्रमा पर पानी की खोज कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। 2014 में Mangalyaan (Mars Orbiter Mission) ने भारत को एशिया का पहला और दुनिया का चौथा देश बना दिया जिसने सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर यान पहुँचाया। 2023 में Chandrayaan-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करके इतिहास रचा और भारत पहला देश बना जिसने यह उपलब्धि हासिल की। इसके साथ ही भारत के राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने विश्व वैज्ञानिक समुदाय में अपनी अलग पहचान बना ली।

 

राष्ट्रीय अंतरिक्ष का उद्देश्य सिर्फ विज्ञान तक सीमित नहीं है बल्कि यह आम जनता तक सुविधाएँ पहुँचाने में भी मदद करता है। Communication Satellites से TV, Internet और Mobile सेवाएँ बेहतर हुई हैं। Remote Sensing Satellites से खेती, मौसम, खनिज संसाधन और प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी मिलती है। Navigation Satellites जैसे NavIC ने भारत को GPS के विकल्प के रूप में अपनी तकनीक दी है। Weather Satellites की मदद से Cyclones, Flood और Drought जैसी आपदाओं का पूर्वानुमान लगाया जाता है।

 

आज राष्ट्रीय अंतरिक्ष सुरक्षा (Space Security) का भी अहम हिस्सा बन चुका है। 2019 में भारत ने Mission Shakti के तहत Anti-Satellite Missile Test (ASAT) करके अपनी अंतरिक्ष रक्षा क्षमता दिखा दी। इसके साथ ही भारत ने यह संदेश दिया कि वह अपने स्पेस एसेट्स की सुरक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है।

 

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