Operation Abhyaas 2025 – India’s Biggest Civil Security Drill Ever
‘ऑपरेशन अभ्यास’ 2025 भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और व्यापक नागरिक सुरक्षा ड्रिल साबित हुआ, जिसे 7 मई को एक साथ 244 जिलों में आयोजित किया गया। इस मेगा ड्रिल का उद्देश्य देशभर में आपात स्थितियों—जैसे ब्लैकआउट, प्राकृतिक आपदाएं, साइबर अटैक या अन्य आकस्मिक संकट—के दौरान नागरिकों और प्रशासन की तत्परता का परीक्षण करना था। इस अभूतपूर्व इवेंट में ब्लैकआउट सिम्युलेशन और मास इवैक्यूएशन ड्रिल को प्रमुख रूप से शामिल किया गया, जहां सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक निर्धारित क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बंद की गई और आपदा प्रबंधन दलों ने घर-घर जाकर इमरजेंसी रिस्पॉन्स की प्रक्रिया का पालन कराया।
इस ऑपरेशन में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA), पुलिस, सेना, NDRF, SDRF, स्वास्थ्य विभाग, बिजली बोर्ड और स्थानीय प्रशासन ने संयुक्त रूप से भाग लिया। खास बात यह रही कि अभ्यास के दौरान रेस्क्यू टीमों को GPS ट्रैकिंग और ड्रोन सर्विलांस से मॉनिटर किया गया, जिससे वास्तविक समय में हर गतिविधि का डेटा एकत्र हुआ। सड़कों पर एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, पुलिस वैन और मोबाइल कमांड यूनिट्स की आवाजाही ने एक असली इमरजेंसी का माहौल बना दिया।
ऑपरेशन अभ्यास का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा था इवैक्यूएशन ड्रिल, जिसमें भीड़भाड़ वाले इलाकों—जैसे स्कूल, हॉस्पिटल, मार्केट और सरकारी दफ्तर—से नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया। इसके लिए पहले से तैयार रिलीफ कैंप्स में टेंट, फूड पैकेट्स, पीने का पानी, मेडिकल सपोर्ट और साइकोलॉजिकल काउंसलिंग की सुविधा दी गई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी सरकार और प्रशासन ने लगातार अलर्ट मैसेज भेजे, ताकि अफवाहों पर काबू रखा जा सके और लोग घबराए नहीं।
ड्रिल के दौरान साइबर सिक्योरिटी टीमों ने पावर ग्रिड, बैंकिंग नेटवर्क, और सरकारी सर्वर पर नकली साइबर अटैक का सिमुलेशन किया, जिससे IT विभाग और साइबर सेल की प्रतिक्रिया समय का परीक्षण किया गया। ब्लैकआउट के समय ट्रैफिक मैनेजमेंट भी एक अहम चुनौती रही, जिसके लिए पुलिस ने वैकल्पिक रूट प्लान पहले से तैयार कर रखे थे।
सरकार का कहना है कि इस ड्रिल का मुख्य मकसद सिर्फ रेस्क्यू और रिलीफ ऑपरेशंस का अभ्यास करना नहीं था, बल्कि नागरिकों को यह सिखाना भी था कि संकट की घड़ी में घबराने की बजाय प्रोटोकॉल फॉलो करना कितना जरूरी है। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन अभ्यास से मिले आंकड़े और फीडबैक को भविष्य में नीतियों, इन्फ्रास्ट्रक्चर और इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम को और बेहतर बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा।
244 जिलों में एक साथ इतने बड़े पैमाने पर आयोजित ड्रिल ने भारत की डिजास्टर मैनेजमेंट क्षमता का एक मजबूत संदेश दुनिया को दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और बढ़ते साइबर खतरे के इस दौर में ऐसे अभ्यास न केवल जरूरी हैं, बल्कि इन्हें नियमित रूप से आयोजित किया जाना चाहिए।
ऑपरेशन अभ्यास में आम नागरिकों की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही—लोगों ने फायर ड्रिल में हिस्सा लिया, नकली रेस्क्यू में वालंटियर बने और सोशल मीडिया पर अनुभव साझा किए। कई जगहों पर बच्चों ने पोस्टर और स्लोगन बनाकर आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूकता फैलाने में योगदान दिया।
7 मई का यह दिन भारत के नागरिक सुरक्षा इतिहास में एक मील का पत्थर बन गया, जहां प्रशासन और जनता ने मिलकर साबित किया कि संकट चाहे प्राकृतिक हो, तकनीकी हो या मानव निर्मित—अगर तैयारी पूरी हो तो किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। इस ड्रिल ने न केवल सिस्टम की मजबूती की परीक्षा ली, बल्कि यह भी दिखाया कि जब पूरा देश एक साथ अभ्यास करता है, तो आपातकालीन प्रतिक्रिया कितनी प्रभावी हो सकती है।