दिल्ली पुलिस पर SSC उम्मीदवारों के साथ कथित हिंसक कार्रवाई का आरोप, विपक्ष ने सरकार को घेरा
दिल्ली में एक बार फिर छात्रों का गुस्सा सड़क पर फूट पड़ा जब SSC (Staff Selection Commission) परीक्षा के उम्मीदवारों ने अपने मांगों को लेकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया लेकिन आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने उनके साथ न केवल सख्ती बरती बल्कि लाठीचार्ज और धक्कामुक्की जैसी हिंसक कार्रवाई भी की। इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और विपक्षी दलों ने सरकार पर छात्रों की आवाज दबाने का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें साफ दिखाई दे रहा है कि छात्र नारेबाजी कर रहे थे और इसी दौरान पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया। कई छात्रों को चोटें भी आई हैं और कुछ को हिरासत में लिए जाने की खबरें सामने आई हैं।
विरोध कर रहे उम्मीदवारों का कहना है कि SSC की भर्ती प्रक्रिया में लंबे समय से पारदर्शिता की कमी, रिजल्ट में देरी और सीटों की घटती संख्या जैसी समस्याएं बनी हुई हैं। छात्रों का आरोप है कि सरकार युवाओं को रोजगार देने के बड़े-बड़े वादे तो करती है लेकिन जब उनकी बारी आती है तो या तो रिजल्ट अटक जाते हैं या चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी सामने आती है। इसी आक्रोश को लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन पुलिस की कथित कार्रवाई ने मामले को और भी गंभीर बना दिया है।
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि “सरकार छात्रों की आवाज दबाना चाहती है, लेकिन युवाओं का गुस्सा अब सड़कों पर है। रोजगार के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए उन पर लाठियां बरसाई जा रही हैं।” वहीं AAP और अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर छात्रों की जायज मांगों को सुनने के बजाय पुलिस बल प्रयोग क्यों कर रही है। विपक्ष का यह भी कहना है कि बेरोजगारी की समस्या देशभर में विकराल रूप ले चुकी है और SSC जैसे राष्ट्रीय स्तर की भर्ती परीक्षाओं में धांधली और देरी सीधे तौर पर लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है।
दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि छात्रों ने अचानक प्रदर्शन के दौरान बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की और ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति पैदा कर दी, जिस वजह से हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। पुलिस का कहना है कि उनकी प्राथमिकता कानून-व्यवस्था बनाए रखना थी और जिन छात्रों को हिरासत में लिया गया है उन्हें बाद में रिहा कर दिया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि SSC की परीक्षा प्रक्रिया और भर्ती प्रणाली लंबे समय से विवादों में रही है। हर साल लाखों उम्मीदवार इन परीक्षाओं में हिस्सा लेते हैं लेकिन नतीजों में देरी, पेपर लीक जैसी घटनाएं और सीटों की संख्या घटने के कारण युवा लगातार नाराज रहते हैं। जब भी छात्र विरोध करते हैं तो पुलिस-प्रशासन से उनका टकराव हो जाता है। यह स्थिति न केवल छात्रों के भविष्य को प्रभावित करती है बल्कि सरकार की छवि पर भी सवाल खड़े करती है।
सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर बड़ी बहस छिड़ गई है। Twitter (अब X) पर #SSCAspirants और #DelhiPolice ट्रेंड कर रहे हैं। कई यूजर्स ने पुलिस की कार्रवाई की आलोचना करते हुए लिखा कि “युवाओं को रोजगार चाहिए, लाठियां नहीं”। वहीं कुछ ने सरकार से मांग की कि वह जल्द से जल्द SSC उम्मीदवारों की समस्याओं का समाधान करे और भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए।
अर्थशास्त्रियों और शिक्षाविदों का कहना है कि अगर समय रहते छात्रों के रोजगार और भर्ती से जुड़ी समस्याओं का हल नहीं निकाला गया तो यह असंतोष बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है। बेरोजगारी पहले ही देश के लिए गंभीर चुनौती है और ऐसे में यदि SSC जैसी परीक्षाओं में देरी व धांधली होती रही तो युवाओं का भरोसा सिस्टम से उठ जाएगा।
दिल्ली में हुई इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार और प्रशासन युवाओं की आवाज सुनने के लिए तैयार हैं या फिर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले छात्रों को भी हिंसा और बल प्रयोग का सामना करना पड़ेगा। आने वाले दिनों में विपक्ष इस मुद्दे को संसद और सड़क दोनों जगह जोर-शोर से उठाने की तैयारी कर रहा है, जबकि छात्र संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।