Quran Mein Taleem Ka Maqam: Ilm Wale Ka Darja Sabse Aala Kyun Hai?
इस्लाम में तालीम यानी शिक्षा को इतनी अहमियत दी गई है कि क़ुरान की सबसे पहली आयत ही “इक़रा” यानी “पढ़ो” से शुरू होती है। अल्लाह ने हज़रत मुहम्मद ﷺ को सबसे पहला पैग़ाम इल्म से जुड़ा दिया, जिससे साफ़ होता है कि तालीम इस्लामी जिंदगी की बुनियाद है। क़ुरान बार-बार इस बात को दोहराता है कि जो लोग इल्म रखते हैं, उनका दर्जा दूसरों से कहीं ज़्यादा है।
क़ुरान कहता है — “क्या वो लोग जो जानते हैं, और वो जो नहीं जानते, दोनों बराबर हो सकते हैं?” (सूरह अज़-ज़ुमर 9)। इसके अलावा, सूरह अल-मुजादिला की आयत 11 में अल्लाह तआला फ़रमाता है कि — “अल्लाह उन लोगों के दर्जात बुलंद करता है जो ईमान लाए और जिनको इल्म दिया गया।”
इससे साबित होता है कि तालीम सिर्फ दुनिया की जरूरत नहीं, बल्कि आख़िरत में काम आने वाली सबसे बड़ी नेमत है। एक आलिम की स्याही को शहीद के खून से भी अफ़ज़ल माना गया है। इस्लाम