Ready to Pay Personal Price”: Modi का जवाब, जब Trump ने India पर लगाया टैरिफ़ बम
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर डबल टैरिफ़ लगाने की धमकी और रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर सेकेंडरी सैंक्शन्स के साए के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी और भावनात्मक प्रतिक्रिया “I am ready to pay personal price for my nation’s sovereignty” यानी “मैं देश की संप्रभुता के लिए व्यक्तिगत कीमत चुकाने को भी तैयार हूं” ने न सिर्फ भारत की विदेश नीति की स्पष्टता को दर्शाया, बल्कि वाशिंगटन में हलचल भी पैदा कर दी है, ट्रंप द्वारा हाल ही में एक चुनावी भाषण में भारत को निशाना बनाते हुए कहा गया कि “Why only China, why not India too?”, और यह बयान रूस के साथ भारत के बढ़ते रणनीतिक और ऊर्जा आधारित व्यापारिक रिश्तों के संदर्भ में आया था, अमेरिकी प्रशासन जहां सेकेंडरी सैंक्शन्स के ज़रिए उन देशों को टार्गेट करने की बात कर रहा है जो रूस के साथ तेल, हथियार या तकनीकी ट्रांसफर में शामिल हैं, वहीं भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी दबाव में अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा, प्रधानमंत्री मोदी की इस प्रतिक्रिया को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत राजनीतिक स्टैंड के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब ग्लोबल साउथ के देश अमेरिका और पश्चिमी देशों की आर्थिक व रणनीतिक नीतियों से खुद को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं, ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत-अमेरिका व्यापार संबंध पहले से ही जटिल हो चुके हैं, और अब यदि ट्रंप 2025 में दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं तो द्विपक्षीय संबंधों में और खिंचाव संभव है, लेकिन मोदी सरकार के उच्चस्तरीय सूत्रों ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब “एकतरफा नीतियों का शिकार नहीं बनेगा” और भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक स्वतंत्रता के फैसले खुद लेगा, इसके अलावा, रूस के साथ भारत के तेल आयात, डिफेंस टेक्नोलॉजी और ब्रिक्स-पर आधारित नॉन-वेस्टर्न फाइनेंशियल इकोसिस्टम को लेकर जो दबाव बन रहा है, उसमें प्रधानमंत्री मोदी की यह टिप्पणी न केवल घरेलू समर्थन जुटाती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय फोरम पर भारत को ‘non-aligned but sovereign’ देश की छवि में स्थापित करती है, सोशल मीडिया पर भी इस बयान की गूंज देखने को मिली जहां #ModiReplyToTrump और #IndiaFirst जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह बयान G20 के दौरान हुई बातचीत और SCO मीटिंग्स की पृष्ठभूमि में भारत की पॉलिसी कंसिस्टेंसी को दर्शाता है, मोदी का यह कहना कि वे “व्यक्तिगत कीमत चुकाने को तैयार हैं” को कई लोगों ने उनके पुराने बयान “देश पहले, मैं बाद में” से जोड़ा और इसे एक मजबूत नैरेटिव बिल्डिंग बताया, वहीं अमेरिका में ट्रंप विरोधी खेमे ने भी भारत की इस प्रतिक्रिया को ‘कूटनीतिक हिम्मत’ करार दिया और बाइडन प्रशासन से ट्रंप के बयानों से दूरी बनाने की मांग की है, भारत के व्यापार मंत्री और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने भी इस बयान के बाद अपनी प्रेस ब्रीफिंग्स में कहा कि भारत “न्यायसंगत वैश्विक व्यापार” में विश्वास रखता है और किसी भी प्रकार की भेदभावपूर्ण टैरिफ नीति का विरोध करेगा, इसके अलावा रणनीतिक विशेषज्ञों ने यह भी जोड़ा कि भारत अब रूस, ईरान, UAE जैसे देशों के साथ अपने ट्रांजैक्शन को डॉलर के बजाय रुपया-रियाल या डिजिटल करेंसी पर आधारित करना शुरू कर चुका है ताकि अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव से बचा जा सके, कुल मिलाकर देखा जाए तो प्रधानमंत्री मोदी की यह प्रतिक्रिया ट्रंप की आक्रामक नीति के सामने भारत की एक शांत लेकिन स्पष्ट चेतावनी है, यह संकेत है कि 2025 के भू-राजनीतिक समीकरण में भारत अब केवल एक भागीदार नहीं, बल्कि एक निर्णायक आवाज बन चुका है जो किसी भी दबाव में अपने राष्ट्रीय हितों की कीमत नहीं चुकाएगा, बल्कि ज़रूरत पड़ी तो व्यक्तिगत कीमत चुकाने से भी पीछे नहीं हटेगा।