चुनाव 2025 में Rural vs Urban Voters – मतदाता व्यवहार में आ रहा बड़ा बदलाव

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चुनाव 2025 में Rural vs Urban Voters – मतदाता व्यवहार में आ रहा बड़ा बदलाव

 

भारत के लोकतांत्रिक परिदृश्य में ग्रामीण (Rural) और शहरी (Urban) मतदाताओं का व्यवहार हमेशा से अलग-अलग प्राथमिकताओं और चुनौतियों के आधार पर तय होता आया है, लेकिन 2025 का चुनाव इस मामले में नया ट्रेंड दिखा रहा है। पहले जहां ग्रामीण मतदाता खेती, सिंचाई, बिजली, सड़क और सरकारी योजनाओं जैसे मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देते थे, वहीं शहरी मतदाता रोजगार, ट्रैफिक, प्रदूषण, शिक्षा और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे विषयों को प्राथमिकता देते थे। अब इन दोनों वर्गों के बीच एक तरह का एजेंडा ओवरलैप देखने को मिल रहा है। डिजिटल कनेक्टिविटी, सोशल मीडिया और मोबाइल इंटरनेट के विस्तार ने ग्रामीण इलाकों को भी राजनीति और नीतियों की रियल-टाइम जानकारी देना शुरू कर दिया है, जिससे उनका वोटिंग पैटर्न बदल रहा है। 2025 में पहली बार ऐसा हो रहा है कि ग्रामीण मतदाता भी ग्लोबल और नेशनल इश्यूज जैसे पर्यावरण, डिजिटल इंडिया, स्किल डेवलपमेंट और हेल्थकेयर सुधार पर चर्चा कर रहे हैं।

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दूसरी तरफ शहरी मतदाता, जो पहले केवल लोकल इन्फ्रास्ट्रक्चर और करियर अवसरों पर फोकस करते थे, अब कृषि संकट, किसान आत्महत्या, ग्रामीण रोजगार और माइग्रेशन जैसे विषयों को भी गंभीरता से ले रहे हैं। इसका कारण है कि ग्रामीण-शहरी जीवन के बीच की दूरी कम हो रही है — बड़े पैमाने पर होने वाला माइग्रेशन, मेट्रो शहरों में ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोगों की बढ़ती उपस्थिति और ग्रामीण क्षेत्रों में शहरीकरण की रफ्तार इस बदलाव के पीछे है।

 

राजनीतिक दल भी इस बदलाव को भांप चुके हैं, इसलिए उनके मैनिफेस्टो और कैंपेनिंग स्टाइल अब ‘मिक्स एजेंडा’ पर आधारित हो गए हैं। अब एक ही रैली में नेता किसानों के MSP और फसल बीमा की बात भी करते हैं और साथ ही स्टार्टअप इंडिया, AI-आधारित रोजगार और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का भी जिक्र करते हैं। सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार का असर भी अहम है — ग्रामीण मतदाता अब Facebook, WhatsApp, YouTube और Instagram जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए सीधे नेताओं के भाषण, वादे और बहस सुन सकते हैं।

 

विशेषज्ञ मानते हैं कि 2025 में ग्रामीण और शहरी मतदाता के बीच का सबसे बड़ा फर्क ‘इश्यू प्रायोरिटी’ में है, न कि इश्यू टाइप में। उदाहरण के लिए, दोनों वर्ग रोजगार चाहते हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में यह कृषि और सरकारी नौकरियों से जुड़ा होता है, जबकि शहरी मतदाता प्राइवेट सेक्टर, स्टार्टअप और टेक इंडस्ट्री के अवसरों पर

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