SCO Tianjin Summit 2025: मोदी का कूटनीतिक दांव और चीन की कड़ी प्रतिक्रिया
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के तियानजिन शिखर सम्मेलन 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा इस बार सिर्फ औपचारिक उपस्थिति भर नहीं रहा, बल्कि वैश्विक राजनीति के बदलते समीकरणों के बीच भारत की कूटनीतिक रणनीति का बड़ा संकेत बनकर उभरा, जहां एक तरफ मोदी ने मंच से वैश्विक शांति, कनेक्टिविटी और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट कार्रवाई की बात की, वहीं दूसरी तरफ चीन की प्रतिक्रिया ने साफ कर दिया कि बीजिंग अब भी भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और इंडो-पैसिफिक में उसकी सक्रिय भूमिका को लेकर असहज है। तियानजिन में आयोजित इस सम्मेलन में रूस, पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान के शीर्ष नेताओं के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें हुईं, जिनमें आर्थिक सहयोग, सुरक्षा, ऊर्जा और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स पर चर्चा हुई। मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा कि किसी भी प्रकार की क्षेत्रीय परियोजनाएं तभी सफल होंगी जब वे पारदर्शिता, परस्पर सम्मान और संप्रभुता के सिद्धांतों पर आधारित हों, जिसे विश्लेषकों ने चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर भारत के अप्रत्यक्ष आपत्ति