Shibu Soren Back in News – झारखंड की राजनीति के सबसे मजबूत नाम की फिर हो रही चर्चा

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Shibu Soren Back in News – झारखंड की राजनीति के सबसे मजबूत नाम की फिर हो रही चर्चा

 

झारखंड की राजनीति में अगर किसी एक नाम ने दशकों तक सत्ता, संघर्ष और जनभावना के बीच से अपनी अलग पहचान बनाई है, तो वो हैं शिबू सोरेन, जिन्हें लोग प्यार से ‘गुरुजी’ कहकर पुकारते हैं, और अब सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनलों तक फिर से #ShibuSoren ट्रेंड कर रहा है क्योंकि झारखंड के बदलते राजनीतिक समीकरणों में एक बार फिर उनका नाम निर्णायक भूमिका में देखा जा रहा है, चाहे सत्ता पक्ष की मजबूती की बात हो या विपक्ष की रणनीति में सेंध लगाने की कोशिश, हर कोण पर शिबू सोरेन का अनुभव और मौन शैली चर्चा में है, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और लंबे समय तक आदिवासी राजनीति की आवाज़ बने रहने वाले गुरुजी आज भी एक ‘पोलिटिकल फोर्स’ हैं, जिनकी चुप्पी भी कई बार बड़े सियासी तूफानों का संकेत मानी जाती है, हाल ही में जब हेमंत सोरेन को ED और कोर्ट के मामलों से जूझना पड़ा, तब एक बार फिर जनता की नज़र गुरुजी पर गई कि क्या वो फिर से मोर्चा संभालेंगे?, इस बीच उनकी पुरानी तस्वीरें, भाषण और आंदोलन काल की झलकियों ने सोशल मीडिया पर तेज़ी से जगह बना ली, खासकर #GurujiReturns, #ShibuSorenLegacy और #JharkhandLeader जैसे हैशटैग्स ने X (पूर्व ट्विटर) और फेसबुक पर जबरदस्त रफ्तार पकड़ी, लेकिन शिबू सोरेन की चर्चा सिर्फ इसलिए नहीं हो रही कि वो एक अनुभवी नेता हैं, बल्कि इसलिए भी क्योंकि आज जब देशभर में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव कमजोर हो रहा है, तब झारखंड जैसे राज्य में JMM का राजनीतिक अस्तित्व उन्हीं की नींव पर टिका है, आदिवासी समाज के अधिकारों की लड़ाई से शुरू होकर दिल्ली की संसद तक पहुंचने वाले शिबू सोरेन ने भारतीय राजनीति में वो स्थान पाया है जो विरले नेताओं को मिलता है, वो न सिर्फ झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने बल्कि कोयला मंत्री के तौर पर केंद्र में भी अहम जिम्मेदारियाँ निभा चुके हैं, लेकिन उनके जीवन में सिर्फ उपलब्धियाँ नहीं रहीं, विवाद, गिरफ्तारी, मुकदमे और राजनीतिक उतार-चढ़ाव भी उनकी कहानी का हिस्सा रहे हैं, फिर भी जिस सहजता से उन्होंने हर चुनौती का सामना किया, वह उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाता है, यही कारण है कि आज भी जब झारखंड की राजनीति संकट में होती है, तो लोग गुरुजी की तरफ देखने लगते हैं, चाहे वो सत्तारूढ़ गठबंधन को बचाने की बात हो या फिर विपक्ष से बातचीत की बैकडोर रणनीति — शिबू सोरेन का अनुभव हर राजनीतिक खिलाड़ी के लिए अमूल्य है, उनकी यही विशेषता उन्हें ‘किंगमेकर’ से भी ऊपर ‘किंगबिल्डर’ की श्रेणी में रखती है, वहीं युवा वर्ग के लिए भी अब शिबू सोरेन एक नया चेहरा बनकर उभरे

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