
प्रेस का कर्तव्य है देश के सामने सच बोलना और मजबूत लोकतंत्र के लिए प्रेस की आजादी बहुत जरूरी है। प्रेस के द्वारा कि गई सरकारी नीतियों पर सवाल उठाने का यह कतई मतलब नहीं है की इससे सत्ता का विरोध किया जा रहा है। इसी टिप्पणी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मलयालम चैनल मीडिया वन के प्रसारण पर लगे सभी प्रतिबंध खारिज किए।
31 जनवरी को इस पर केंद्रीय सूचना व प्रसारण और गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बताते हुए प्रतिबंध लागए थे।
बुधवार को शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि सरकार किसी भी प्रकार के अनुचित आरोप प्रेस पर नहीं लगा सकती इससे प्रेस की आजादी पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
पीठ ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया चैनल के लायसेंस का नवीनीकरण करने के लिए और ऐसा ना करना अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध लगाने जैसा है। पीठ ने केरल हाई कोर्ट के निर्देश को भी खारिज कर दिया जिसमें चैनल पर प्रतिबंध को बरकरार रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट केरल हाईकोर्ट के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
केंद्र के 31 जनवरी के निर्देश पर शीर्ष अदालत ने 15 मार्च को अंतिम आदेश में अगले निर्णय तक रोक लगा दी थी।