अल्हम्दु की सूरत हिंदी में Surat of alhamdu in hindi
रह अल-हम्द, जिसे सूरह अल-फातिहा भी कहा जाता है, कुरान की पहली सूरह है। यह एक महत्वपूर्ण और प्रारंभिक सूरह है जो नमाज़ (सलात) में प्रतिदिन पढ़ी जाती है। यहाँ इसका पाठ और अनुवाद प्रस्तुत है:
अरबी में पाठ:
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ
हिंदी में अनुवाद:
शुरू अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
सारी तारीफें अल्लाह के लिए हैं, जो सारे जहान का पालने वाला है।
बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला।
इनाम के दिन का मालिक।
(ऐ अल्लाह) हम सिर्फ तेरी ही इबादत करते हैं और सिर्फ तुझी से मदद मांगते हैं।
हमें सीधे रास्ते पर चला।
उन लोगों के रास्ते पर चला जिन पर तूने इनाम किया, जो न तेरे गुस्से के शिकार हुए और न भटके।
यह सूरह मुसलमानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसे हर नमाज़ के प्रत्येक रकात में पढ़ा जाता है।
:अल्हम्दु की सूरत पुरी हिंदी और उर्दू में इंग्लिश में
जरूर, यहाँ “सूरह अल-हम्द” (अल्फातिहा) का पूरा अनुवाद है:
हिंदी में:
शुरू अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
सारी तारीफें अल्लाह के लिए हैं, जो सारे जहान का पालने वाला है।
बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला।
इनाम के दिन का मालिक।
(ऐ अल्लाह) हम सिर्फ तेरी ही इबादत करते हैं और सिर्फ तुझी से मदद मांगते हैं।
हमें सीधे रास्ते पर चला।
उन लोगों के रास्ते पर चला जिन पर तूने इनाम किया, जो न तेरे गुस्से के शिकार हुए और न भटके।
उर्दू में:
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ
इंग्लिश में (अनुवाद):
In the name of Allah, the Entirely Merciful, the Especially Merciful.
[All] praise is [due] to Allah, Lord of the worlds –
The Entirely Merciful, the Especially Merciful,
Sovereign of the Day of Recompense.
It is You we worship and You we ask for help.
Guide us to the straight path –
The path of those upon whom You have bestowed favor, not of those who have evoked [Your] anger or of those who are astray.