विदेश मामलों में ‘आत्मनिर्भरता’ को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बड़ा संदेश—भू-अर्थव्यवस्था के नजरिए से आत्मनिर्भरता का महत्व बताया

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विदेश मामलों में ‘आत्मनिर्भरता’ को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बड़ा संदेश—भू-अर्थव्यवस्था के नजरिए से आत्मनिर्भरता का महत्व बताया

 

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता (Self-Reliance) केवल घरेलू आर्थिक नीति का हिस्सा नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों और भू-अर्थव्यवस्था (Geo-Economics) की दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज की Globalized World में किसी भी देश की विदेश नीति तभी प्रभावी मानी जा सकती है जब वह Strategic Autonomy और Economic Independence दोनों पर संतुलित ध्यान दे। जयशंकर ने बताया कि COVID-19 Pandemic और Ukraine-Russia युद्ध जैसे Global Shocks ने यह साबित कर दिया है कि Supply Chain Disruption किसी भी राष्ट्र की Vulnerability को उजागर कर सकता है। इसी कारण भारत का जोर अब Atmanirbhar Bharat Vision पर है, जिसमें Technology, Defence, Energy और Trade Sectors में Domestic Capacity Building को बढ़ावा दिया जा रहा है।

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जयशंकर ने कहा कि आत्मनिर्भरता का अर्थ Isolation नहीं बल्कि Resilient Global Engagement है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी Global Supply Chain से खुद को अलग नहीं करेगा, बल्कि उसमें Equal और Strong Player की तरह अपनी Position मजबूत करेगा। यह दृष्टिकोण India को एक भरोसेमंद Partner और Responsible Power के रूप में प्रस्तुत करता है। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि यदि भारत Defence Manuf

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