अल्हम्दु शरीफ हिंदी में: कुरआन की पहली सूरह ‘अल-फ़ातिहा’ का महत्व

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अल्हम्दु शरीफ हिंदी में: कुरआन की पहली सूरह ‘अल-फ़ातिहा’ का महत्व

 

“अल्हम्दु शरीफ” वह वाक्यांश है जिससे कुरआन की पहली और सबसे महत्वपूर्ण सूरह – सूरह अल-फ़ातिहा – शुरू होती है। इसे मुसलमान हर नमाज़ में पढ़ते हैं और इसे इस्लाम में दुआओं की माँ कहा जाता है।

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📖 अल्हम्दु शरीफ का पूरा अर्थ:

 

“अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन”

👉 “सब प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है, जो सारे जहानों का रब है।”

 

यह सूरह शांति, उम्मीद और मार्गदर्शन की प्रतीक है। इसे पढ़ने से न केवल सुकून मिलता है, बल्कि यह हर मुसीबत से निजात दिलाने वाली भी मानी जाती है।

 

 

 

📜 सूरह अल-फ़ातिहा (अल्हम्दु शरीफ) – हिंदी अनुवाद सहित:

 

1. बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम

शुरुआत अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

 

 

2. अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन

सब तारीफें अल्लाह के लिए हैं जो सारे जहान का रब है।

 

 

3. अर-रहमानिर-रहीम

जो बड़ा मेहरबान और रहम वाला है।

 

 

4. मालिकी यौमिद्दीन

जो बदले के दिन का मालिक है।

 

 

5. इय्याका ना’बुदु व इय्याका नस्त’ईन

हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद चाहते हैं।

 

 

6. इहदनास सिरातल मुस्तकीम

हमें सीधा रास्ता दिखा।

 

 

7. सिरातल्लज़ीना अन’अम्ता अलैहिम ग़ैरिल मग़दूबे अलैहिम वलद्दाल्लीन

उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम किया, ना कि उन पर जो गुस्से में हैं और ना जो भटके हुए हैं।

 

 

 

 

 

🌙 इसे पढ़ने के फायदे:

 

दिल और दिमाग को सुकून मिलता है

 

ग़म और परेशानी में राहत मिलती है

 

हर नमाज़ का अहम हिस्सा

 

क़ुरआन के हर हिस्से की शुरुआत इससे होती है

 

 

 

 

“अल्हम्दु शरीफ” केवल शब्द नहीं, बल्कि हर मुसलमान की दुआ, उम्मीद और अल्लाह से जुड़ने का पहला रास्ता है। अगर आप भी इसे सही उच्चारण और अर्थ के साथ समझना

चाहते हैं, तो The Great News पर नियमित रूप से इस्लामिक गाइड पढ़ें।

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