शांति से हो रहा आंदोलन” — गैर-हिंसात्मक तरीके से देशभक्ति की मशाल जल रही ह
आज के दौर में जब समाज और राजनीति में टकराव, हिंसा और विरोध के स्वर तेज़ी से उभरते हैं, ऐसे समय में एक नया अभियान देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है जिसका नाम है — “शांति से हो रहा आंदोलन”, इस मुहिम का मकसद है कि लोग अपने अधिकारों और देशभक्ति की भावना को हिंसा या आक्रामकता के बजाय शांतिपूर्ण और सकारात्मक तरीके से व्यक्त करें, इस आंदोलन को कॉलेज स्टूडेंट्स, सोशल एक्टिविस्ट्स, रिटायर्ड प्रोफेसर्स, महिला संगठनों और कई युवा संगठनों का समर्थन मिल रहा है, Independence Day 2025 के अवसर पर यह आंदोलन और भी ज़्यादा चर्चित हो गया है क्योंकि इसमें शामिल लोग सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन या नारेबाज़ी करने की बजाय हाथों में तिरंगा लेकर, गांधी टोपी पहनकर और राष्ट्रगीत गाकर शांति और एकता का संदेश दे रहे हैं, कई शहरों जैसे दिल्ली, पटना, भोपाल, जयपुर, मुंबई और लखनऊ में इस शांतिपूर्ण आंदोलन की झलक देखने को मिली, जहां भीड़ बिना किसी शोर-शराबे के सिर्फ़ भारतीय ध्वज और देशभक्ति के गीतों के साथ मार्च करती दिखी, इस आंदोलन की खास बात यह है कि इसमें न कोई तोड़फोड़ है, न कोई राजनीतिक बैनर, न कोई भड़काऊ भाषण, बल्कि यह पूरी तरह गांधीवादी सिद्धांतों और अहिंसक मूल्यों पर आधारित है,
सोशल मीडिया पर #ShantiSeAndolan और #DeshbhaktiKiMashal जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं और हजारों लोग इस मुहिम से जुड़ते जा रहे हैं, आयोजकों का कहना है कि उनका उद्देश्य किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थन या विरोध करना नहीं बल्कि आम जनता को यह संदेश देना है कि देशभक्ति केवल आक्रामकता से नहीं बल्कि अनुशासन, शांति और सकारात्मक सोच से भी दिखाई जा सकती है, कई युवाओं ने पोस्टर और प्लेकार्ड्स पर “हमारा हथियार हमारी एकता है”, “देशप्रेम में हिंसा नहीं चाहिए” और “गांधी का रास्ता, देश का वास्ता” जैसे नारे लिखकर लोगों का ध्यान खींचा,
दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स का कहना है कि आज के समय में लोग आंदोलनों को केवल हिंसा और राजनीति से जोड़कर देखते हैं लेकिन इस पहल ने यह दिखाया कि बिना किसी नुकसान के भी आंदोलन मज़बूत और असरदार हो सकता है, मुंबई में जब मरीन ड्राइव पर हजारों युवाओं ने एक साथ बैठकर मोमबत्तियाँ जलाईं और राष्ट्रगीत गाया तो पूरा इलाका देशभक्ति और शांति का प्रतीक बन गया, वहीं लखनऊ में महिलाओं ने रक्षाबंधन के मौके पर सैनिकों को राखी बांधकर “शांति का संदेश” दिया और इस आंदोलन को और भी भावनात्मक बना दिया,
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की पहल युवाओं को सही दिशा देने का काम करती है, क्योंकि आज का युवा जोश से भरा है लेकिन अगर वही जोश सकारात्मक ऊर्जा में बदला जाए तो देश को तरक्की और एकता की राह पर आगे ले जाने में मदद मिलेगी, इस आंदोलन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किसी भी एक संगठन या नेता से जुड़ा नहीं बल्कि पूरी तरह जनसहभागिता से संचालित हो रहा है, लोग खुद जुड़कर इसे आगे बढ़ा रहे हैं और यही वजह है कि इसमें विविधता के बावजूद एकता दिखाई दे रही है,
आयोजकों ने यह भी घोषणा की है कि “शांति से हो रहा आंदोलन” केवल Independence Day तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि आगे भी Republic Day, गांधी जयंती और अन्य राष्ट्रीय अवसरों पर इस तरह के शांतिपूर्ण अभियान चलाए जाएंगे ताकि नई पीढ़ी को अहिंसा और एकता का महत्व समझाया जा सके, गांवों और छोटे कस्बों में भी इस आंदोलन के तहत पैदल मार्च और शांति रैलियाँ आयोजित की जा रही हैं जिसमें स्कूली बच्चे, किसान और बुजुर्ग भी शामिल हो रहे हैं,
सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियोज़ और तस्वीरों को लाखों लाइक्स और शेयर मिल रहे हैं, लोग इसे एक “Silent Revolution” कह रहे हैं और कमेंट कर रहे हैं कि यही असली देशभक्ति है जो नफरत नहीं बल्कि प्यार और भाईचारे को फैलाती है, कई सेलेब्रिटीज़ और इन्फ्लुएंसर्स ने भी इस आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि आज देश को ऐसे ही शांतिपूर्ण अभियानों की ज़रूरत है,
कुल मिलाकर “शांति से हो रहा आंदोलन” ने यह साबित कर दिया है कि देशभक्ति की मशाल केवल तलवार या गुस्से से नहीं बल्कि अहिंसा, शांति और एकजुटता से भी जल सकती है, Independence Day 2025 के इस माहौल में यह आंदोलन समाज को एक नई दिशा और प्रेरणा दे रहा है और यह संदेश दे रहा है कि अगर बदलाव चाहिए तो रास्ता गांधी का अपनाना ही सबसे प्रभावी तरीका है, यही वजह है कि आज पूरा देश इस आंदोलन को सराह रहा है और इसे “गैर-हिंसात्मक देशभक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण” कहकर सम्मानित कर रहा है।