ब्रिटिश राज के गुमनाम नायक और उनकी कहानियाँ: वो नाम जिन्हें इतिहास ने भुला दिया
जब भी हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं, तो हमारे ज़हन में गांधी जी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, जवाहरलाल नेहरू और बाल गंगाधर तिलक जैसे कुछ बड़े नाम सबसे पहले आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत को आज़ाद कराने की इस लंबी लड़ाई में ऐसे अनगिनत लोग भी शामिल थे, जिनका नाम शायद इतिहास की किताबों में नहीं दर्ज हुआ, लेकिन उनका योगदान किसी से कम नहीं था। ये थे हमारे गुमनाम नायक, जिन्होंने अंग्रेजों की नींव हिला दी, लेकिन इतिहास की गलियों में खो गए। आज हम जानेंगे कुछ ऐसे ही वीरों की कहानियाँ जो ब्रिटिश राज में अपने साहस, बलिदान और रणनीति से चुपचाप इतिहास बना गए।
सबसे पहले बात करते हैं खुदीराम बोस की। मात्र 18 साल की उम्र में इस वीर नौजवान ने ब्रिटिश मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की हत्या का प्रयास किया था। हालांकि उनका निशाना चूक गया और दो निर्दोष अंग्रेज महिलाएं मारी गईं, लेकिन खुदीराम ने गिरफ्तारी के बाद भी कोई पछतावा नहीं दिखाया। उन्हें फांसी दे दी गई, और वो भारत के सबसे कम उम्र के क्रांतिकारियों में शामिल हो गए। उनकी हिम्मत और बलिदान ने बंगाल के युवाओं में आज़ादी की एक नई लहर जगा दी।
अब ज़िक्र करते हैं टिकेन्द्रजीत सिंह का, जो मणिपुर राज्य के सेनापति थे। 1891 में जब ब्रिटिश सेना ने मणिपुर को हथियाने की कोशिश की, तो टिकेन्द्रजीत सिंह ने उसका ज़बरदस्त विरोध किया। उन्हें अंग्रेजों ने ‘राजद्रोही’ घोषित कर दिया और उन्हें फांसी दे दी गई। लेकिन आज भी मणिपुर की आत्मा में उनका नाम गर्व से लिया जाता है।
वीर नारायण सिंह, जो छत्तीसगढ़ के सोनाखान के ज़मींदार थे, उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी जनता को लामबंद किया