Trishala Dutt का मानसिक स्वास्थ्य पर संदेश — सीमाओं और पारिवारिक दबाव को लेकर
बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की बेटी Trishala Dutt, जो एक साइकॉथेरपिस्ट के रूप में अमेरिका में काम करती हैं, ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऐसा संदेश साझा किया है जिसने युवाओं और फैन्स के बीच गहरी चर्चा छेड़ दी है। Trishala ने अपने पोस्ट में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के महत्व पर जोर देते हुए यह कहा कि इंसान को अपनी सीमाएँ (Boundaries) तय करनी चाहिए और पारिवारिक दबाव या रिश्तों के बोझ के चलते अपने मानसिक संतुलन को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए। उनका कहना था कि लोग अक्सर दूसरों को खुश करने के लिए खुद को थका डालते हैं, लेकिन असली खुशी तभी मिलती है जब आप अपने लिए भी समय निकालते हैं और ज़रूरत पड़ने पर “ना” कहना सीखते हैं।
Trishala ने बताया कि भारतीय समाज में अब भी परिवार और रिश्तेदारों का दबाव बहुत गहरा होता है, जहां लोग अपने बच्चों या करीबी लोगों से उम्मीद करते हैं कि वे हमेशा उनकी सोच और उम्मीदों पर खरे उतरें। लेकिन यह दबाव कई बार व्यक्ति के आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य को गहरा नुकसान पहुँचा सकता है। उन्होंने अपने संदेश में युवाओं को प्रेरित करते हुए लिखा कि “Mental Health is as important as Physical Health” यानी मानसिक स्वास्थ्य उतना ही जरूरी है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य। अगर आप लगातार तनाव, चिंता या अवसाद महसूस कर रहे हैं तो प्रोफेशनल मदद लेने से झिझकना नहीं चाहिए।
उनका यह संदेश खासकर भारतीय युवाओं के लिए अहम माना जा रहा है क्योंकि आज के समय में Career Pressure, Social Media Influence और Family Expectations के कारण मानसिक बीमारियों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। Trishala ने यह भी कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि किसी की लाइफ भले ही बाहर से परफेक्ट दिखे, लेकिन हर इंसान अपनी चुनौतियों से लड़ रहा होता है। उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों का हवाला देते हुए बताया कि उन्होंने भी कठिन दौर देखे हैं और इसीलिए वे जानती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना कितना जरूरी है।
सोशल मीडिया पर उनके इस पोस्ट को फैन्स और फॉलोअर्स ने खूब सराहा और सैकड़ों लोगों ने कॉमेंट कर यह लिखा कि Trishala जैसी पब्लिक फिगर का इस तरह खुलकर बात करना समाज के लिए सकारात्मक कदम है। कई लोगों ने उन्हें धन्यवाद दिया कि उन्होंने वह बातें कहीं जिन पर अक्सर भारतीय परिवारों में चर्चा नहीं होती।
Trishala Dutt का यह संदेश हमें यह याद दिला
ता है कि