Trump Slams US Sanctions: “क्यों सिर्फ भारत को टार्गेट किया?” रूस से व्यापार पर उठाए कड़े सवाल
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं, इस बार वजह है उनका तीखा सवाल—”क्यों सिर्फ भारत को टार्गेट किया जा रहा है?”—जो उन्होंने रूस के साथ व्यापार कर रहे देशों पर लगाए जा रहे सेकेंडरी सैनक्शंस (Secondary Sanctions) को लेकर उठाया है, हाल ही में एक पब्लिक मीटिंग के दौरान ट्रंप ने अमेरिकी प्रशासन की रूस नीति की आलोचना करते हुए कहा कि भारत जैसे देशों को जो रूस से तेल और हथियारों की खरीद कर रहे हैं, उन्हें खासतौर पर निशाना बनाना समझ से बाहर है जबकि यही व्यापार यूरोप के कई देशों द्वारा भी किया जा रहा है, ट्रंप के इस बयान ने न केवल वॉशिंगटन में हलचल मचा दी है बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों की नई परतों को भी उजागर कर दिया है, खासकर तब जब ETS (Economic Trade Surveillance) रिपोर्ट्स दिखा रही हैं कि 2024–25 के दौरान भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार में 35% की वृद्धि हुई है, मुख्यतः कच्चे तेल और रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में, वहीं दूसरी ओर अमेरिका की बाइडन सरकार भारत समेत कई एशियाई देशों को चेतावनी दे रही है कि यदि रूस के साथ व्यापार बढ़ाया गया तो सेकेंडरी सैनक्शंस लगाए जा सकते हैं, जिसमें बैंकिंग एक्सेस से लेकर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर तक की सीमाएं शामिल होंगी, ट्रंप ने इसी संदर्भ में सवाल उठाया कि जब अमेरिका का सहयोगी यूरोप खुद रूस से गैस और तेल खरीदता रहा है तो फिर भारत जैसे देश जो अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस पर निर्भर हैं, उन्हें टार्गेट करना दोहरी नीति नहीं तो और क्या है, ट्रंप ने ये भी कहा कि अगर उनके नेतृत्व में सरकार होती तो अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध को कूटनीति से बहुत पहले ही रोक देता और अब जो स्थिति बनी है उसमें भारत को दबाना सिर्फ चीन को मजबूती देने जैसा है क्योंकि अगर भारत-रूस व्यापार रुकता है तो चीन का प्रभाव रूस पर और अधिक बढ़ेगा जिससे अमेरिका की Indo-Pacific नीति को गहरा झटका लगेगा, गौरतलब है कि भारत ने अब तक अमेरिका के दबाव के बावजूद रूस से व्यापार जारी रखा है और इससे देश को आर्थिक रूप से बड़ा लाभ भी हुआ है, जैसे कि डिस्काउंटेड क्रूड ऑयल की खरीदारी, जो घरेलू बाजार में ईंधन की कीमतों को स्थिर रखने में मददगार रही, ETS डेटा के अनुसार भारत ने 2025 की पहली तिमाही में रूस से करीब $25 बिलियन का तेल आयात किया जबकि 2021 में यह आंकड़ा केवल $8 बिलियन के आसपास था, अमेरिका के सेकेंडरी सैनक्शंस को लेकर वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत की नीति “National Interest First” पर आधारित है और भारत किसी भी एकतरफा वैश्विक दबाव में नहीं झुकेगा, ट्रंप के बयान के बाद अब इस मुद्दे ने अमेरिकी चुनावों में भी एंट्री ले ली है, जहां रिपब्लिकन उम्मीदवार बाइडन सरकार को “India-Unfriendly” बताकर एशियाई वोट बैंक को साधने की कोशिश में हैं, दूसरी तरफ भारत सरकार ने इस बयान पर औपचारिक टिप्पणी से बचते हुए कहा कि भारत वैश्विक संतुलन और रणनीतिक स्वायत्तता की नीति पर चलता है, लेकिन यह तय है कि ट्रंप की यह टिप्पणी भारत के पक्ष में एक बड़ा नैरेटिव खड़ा कर सकती है, खासकर उस वक्त जब अमेरिका का विदेश विभाग कुछ भारतीय बैंकिंग चैनलों को रूस से जुड़े भुगतान को लेकर जांच के घेरे में ला चुका है, भारत को लेकर ट्रंप का यह रुख अब यह संकेत भी दे रहा है कि यदि वे 2025 के चुनावों में फिर से राष्ट्रपति बने तो भारत के साथ व्यापारिक और रणनीतिक रिश्ते और गहरे हो सकते हैं, वहीं चीन पर भी उन्होंने कहा कि रूस के साथ भारत को कमजोर करके अमेरिका अंततः चीन को और ताकतवर बना रहा है, जिससे इंडो-पैसिफिक में अमेरिकी रणनीति को खुद ही कमजोर किया जा रहा है, इस पूरे घटनाक्रम से एक बात तो साफ है कि अमेरिका में भारत की भूमिका अब केवल एक रणनीतिक साथी भर नहीं बल्कि वैश्विक शक्ति-संतुलन के केंद्र में आ चुकी है, और अगर अमेरिका भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों को सेकेंडरी सैनक्शंस से दबाने की कोशिश करेगा तो इससे वैश्विक स्तर पर उसकी नीतियों की विश्वसनीयता को गंभीर नुकसान पहुंचेगा, ट्रंप ने अपने भाषण के दौरान यहां तक कहा कि “मैं भारत को जानता हूं, वो एक शक्तिशाली, आज़ाद और समझदार देश है और अमेरिका को उसके साथ सहयोग करना चाहिए, न कि उसे धमकी देनी चाहिए,” जिससे ये भी संकेत मिला कि यदि वो सत्ता में लौटे तो भारत के साथ ट्रेड और डिफेंस दोनों मोर्चों पर और सकारात्मक रवैया रखेंगे, ETS business trends ये भी दिखाते हैं कि भारत का रूसी बाजार पर बढ़ता प्रभाव अमेरिका को केवल राजनीतिक नहीं बल्कि आर्थिक रूप से भी असहज कर रहा है क्योंकि इससे डॉलर आधारित सिस्टम को नुकसान होता है, खासकर तब जब भारत-रूस के बीच रुपये-रूबल में ट्रेड की संभावनाएं और बढ़ रही हैं, कुल मिलाकर ट्रंप का यह सवाल—”क्यों सिर्फ भारत को टार्गेट किया?”—अब सिर्फ एक बयान नहीं बल्कि अमेरिका की रूस-भारत नीति की पोल खोलता हुआ मुद्दा बन चुका है, जो आने वाले हफ्तों में वैश्विक बहस का हिस्सा बनने वाला ह