Uttarakhand Rain Damage Photos – भारी बारिश से धराली में तबाही, बढ़ रही मुश्किलें

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Uttarakhand Rain Damage Photos – भारी बारिश से धराली में तबाही, बढ़ रही मुश्किलें

 

उत्तराखंड के Uttarkashi जिला के धराली गाँव पर 5 अगस्त 2025 को अचानक cloudburst ने कहर बरपाया—जलमग्न घर, बहने वाले होटल, उफनती नदियाँ और मलबे की लहरें इस इलाके में उत्पन्न हुईं विस्फोटक स्थिति को बयां करती हैं।

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तस्वीरों में देखा जा सकता है कि धराली village पूरी तरह मिट्टी और रेत से ढंक गया था, जैसे कोई नदी बीच-बीच में सूखे भूभाग को समा गई हो ।

 

एक अन्य छवि में मलबे से जमे हुए सड़कें और भारी मशीनरी के बीच बचाव कार्य की झलक मिलती है, जो कठिन राहों में बचाव दल की चुनौतियों को उजागर करती है ।

 

तीसरी तस्वीर में 60-फीट ऊंची स्लश की दीवार दिखाई देती है, जिसे स्थानीय पुरोहित ने वीडियो में कैद किया था—ये दृश्य तीन मिनट का ‘pure hell’ कहलाया ।

 

चौथी तस्वीर जमींदोज हुई रास्तों औराइनफ्रास्ट्रक्चर की मलबे में दबने की भयावहता को दर्शाती है ।

 

ताज़ा अपडेट और कंटекст:

 

पत्थर-मिट्टी और पानी की दीवार ने धराली को कई घंटों तक घेर रखा—जिससे कम से कम चार लोगों की मौत हुई और करीब 100 लोग लापता बताए गए ।

 

सेंचुरी तक पहुंच चुके लॉस: अंदाज़ा लगाया गया है कि 40–50 apple orchards और फसलें, कई होटलों-दुकानों के साथ, 4.5 हेक्टेयर भूमि पर मलबे की चादर बिछने के कारण बर्बाद हो गईं — नुक़सान ₹70–80 लाख तक आंका गया ।

 

अस्थायी झील बन गई है—Harsil के ऊपरी हिस्सों में एक आकार में लगभग 400–500 मीटर की झील बनी है, जो आगे चलकर संभावित बाढ़ का कारण बन सकती है; इसे मॉनिटर किया जा रहा है ।

 

बाढ़ जैसी तबाही के बावजूद कुछ परिवार अभी भी इलाके में रुके हुए हैं, क्योंकि वे अपने खोए परिवार या मुआवजे की उम्मीद में हैं। सरकार ने ₹5 लाख प्रति घर या खोए व्यक्ति के लिए मुआवजा मंज़ूर किया है, लेकिन कई लोग इसे अपर्याप्त मान रहे हैं ।

 

 

एक पैराग्राफ में SEO-अनुकूल खबर (Hindi-English Mix):

 

इस स्मैशिंग cloudburst ने Dharali village, Uttarkashi में तीन मिनट का pure hell पेश किया, जब अचानक मिट्टी-पत्थर-पानी की 60-feet high wall ने बहते हुए घर-होटल और orchard को सब कुछ मिट्टी में दफन कर दिया। इस आपदा ने प्रधानमंत्री-स्तरीय प्रतिक्रिया, Army-NDRF-SDRF की rescue operations on war footing, और ₹5 लाख प्रति परिवार का मुआवजा सुनिश्चित किया—but जब तक अस्थायी झील और जल-मार्गों का खतरा बना रहेगा, तब तक ग्रामीणों की ज़िंदगियाँ और आर्थिक संसाधन जोखिम में हैं, और re-habilitation, monitoring और climate resilience पर सबकी नज़रें टिकी हैं।

 

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