अजीबोगरीब परंपरा : यहां दाह-संस्कार के बाद बची राख का सूप बनाकर पीने की परंपरा आखिर क्यों करते हैं इस जनजाति के लोग जाने वजह?
देश दुनिया में अजीबोगरीब परंपराएं देखने को मिल जाती हैं , जिस संस्कृति के लोग उसी संस्कृतियों का पालन करते हुए दिखाई देते हैं ऐसे ही परंपरा के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको अजीब तो लगेगा पर परंपरा तो परंपरा ही है, अक्षर आस-पड़ोस में अलग-अलग संस्कृति के लोगों के व्यक्ति को मरने के बाद अंतिम संस्कार की परंपरा अलग देखी होगी लेकिन यानोमानी जनजाति के लोग अपने परिवार के सदस्य के मरने के बाद उसकी राख का सूप बनाते हैं. जी चौंकिए मत यह हकीकत है,
दुनिया भर में कई संस्कृति के लोग रहते हैं , जो अपनी संस्कृति के अनुसार अपनी परंपराओं (Weird Rituals) का पालन भी करते हैं और उन्हीं पास परंपराओं के चलते अपना जीवन यापन भी कर रहे है, किसी संस्कृति के अनुसार शादी करने के तरीकों को आप सुनकर दंग रह जाओगे लेकिन कई संस्कृति में अंतिम संस्कार (Funeral Traditions) करने के तरीकों को जानकर आप हैरान हो जाओगे, जो भारत में शायद ही स्वीकार्य है. ऐसा ही कुछ देखा जाता है दक्षिण अमेरिका की एक जनजाति यानोमानी (Yanomami) की परंपराओं के साथ है, जो किसी भी व्यक्ति के मर जाने के बाद उसकी राख का सूप बनाकर पीते हैं. यह जानकर भले ही आपको हैरानी हो रही होगी लेकिन इस जनजाति की के लिए काफी आम है इतना ही नहीं जानकारी और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कहा जाता है कि यह जनजाति आप ने मृतक घर वालों का मांस भी खाते हैं, इतना जानने के बाद आपके जहन में जरूर सवाल उठ रहा होगा ऐसा करने के पीछे इन लोगों का क्या कारण होता है वो किसी व्यक्ति के मर जाने के बाद किन-किन नियमों का पालन करते हैं. जानते हैं यानोमानी की इस अजीबोगरीब परंपरा से जुड़ी बातें
कहां पर है यह जनजाति?
जिस जनजाति के बारे में हम आपको बता रहे हैं वह दक्षिण अमेरिका की जनजातियों में से एक है जिसका नाम या यानोमामी. इस जनजाति को यानम या सेनेमा के नाम से भी जाना पहचाना जाता है , इस जनजाति के लोग वेनेजुएला और ब्राजील के कुछ हिस्सों में भी पाए जाते हैं ये आदिवासी जनजाति पश्चिमी सभ्यता से काफी अलग है और अपनी संस्कृति के नियमों के पालन करते हुए ही जी रही है. ये सिर्फ अपनी संस्कृति के नियमों का पालन करते हैं.
क्या है यानोमामी जनजाति की अंतिम संस्कार की परंपरा?
इस जनजाति में नरभक्षण की तरह ही एक अजीबोगरीब परपंरा देखने को मिलती है, जिसे एंडोकैनिबेलिज्म कहा जाता है. इस परंपरा में इस जनजाति के लोग अपने ही परिवार के मृतक व्यक्ति का मांस खाते हैं. Guardian की एक रिपोर्ट की जानकारी अनुसार जब इस जनजाति के किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, पहले तो मृतक का शव कुछ दिनों तक पत्तो आदि से ढक कर रखा जाता है और उसके बाद उस बचे हुए शरीर को जला दिया जाता है जिसमें अधिकतर हड्डियो को जलाया जाता है और शरीर का मांस को भी खा भी जाते है, शरीर हड्डियों को जलाकर जो राख बस्ती है उसे भी इस जनजाति के लोग परंपरा के अनुसार खा जाते हैं, ये लोग उस राख को केले से बनाए गए एक सूप जैसे पदार्थ में डाल लेते हैं और मृतक के परिवारजन उस राख मिले हुए सूप को पी जाते हैं. आपको सुनकर ये भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन यह बात सच है और यह उनकी परंपरा है. ऐसा करते वक्त वे लोग काफी रोते भी हैं और शोक से जुड़े गीत भी गाते हैं.
इस जनजाति के लोग ऐसा क्यों करते हैं ?
यानोमामी जनजाति के लोग मृतक के शरीर की शव के साथ इसलिए ऐसा करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि मरने के बाद शरीर की आत्मा की रक्षा की जानी चाहिए. आत्मा को तब ही शांति मिलती है, जब शरीर के आखिरी हिस्से को भी उसके रिश्तेदारों ने खा लिया हो. ऐसा मानते हुए ये लोग शरीर की राख को भी किसी ना किसी तरीके से खा जाते हैं. उनका मानना है कि इस तरह से अंतिम संस्कार करने से आत्मा को शांति मिल सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को रिश्तेदार या कोई दुश्मन मार देता है तो वो अलग तरह से अंतिम संस्कार करते हैं. इस स्थिति में सिर्फ महिलाए ही राख खाते हैं और इसे मौत का बदला लेने से लेकर जोड़ा जाता