देश को क्यों वापस लौटाना चाहता है ये खिलाड़ी सम्मान वापस
कर्णप्रयाग
खिलाड़ियों के साथ भेदभाव और उनकी सरकार की ओर से उपेक्षा मानों आम बात हो गयी हो, खिलाड़ियों की दुर्दशा को लेकर तो पहले भी आप कई बार सुन चुके होंगे, लेकिन यहां तो सरकार ने एक खिलाडी का अपमान करने में कोई कसर ही नहीं छोडी, खिलाडी को दी गयी सरकारी सौगात को अब सरकारी नुमाइंदे ही अवैध बताकर खिलाडी का सम्मान छीनने की कोशिश में लगे हैं, वहीं इस अपमान से खिन्न खिलाडी ने भी अपना सर्वोच्च सम्मान देश को लौटाने का फैसला लिया है, आखिर क्या है पूरा मामला आगे पढें।
कनवासी को बीजिंग एशियाड गेम में 1990 में कांस्य पदक जीतने पर तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने बतौर पुरस्कार गौचर में आधा नाली भूमि आवंटित की थी। उत्तराखंड पृथक राज्य बनने के बाद उन्हें वर्ष 2001 में अर्जुन पुरस्कार दिया गया। कनवासी ने कहा कि पुरस्कार प्राप्त करने के बाद भी भारतीय सेना में सेवा करते रहे, लेकिन जब वह वर्ष 2007 में आवंटित भूमि को देखने पहुंचे तो देखा कि वहां स्थानीय प्रशासन ने बस अड्डा बना दिया था। उन्होंने इसका विरोध किया तो प्रशासन ने आवंटित भूमि के समीप ही आधा नाली भूमि उपलब्ध कराने की बात कह कर पल्ला झाड़ दिया, लेकिन अब स्थानीय निवासी की शिकायत पर प्रशासन ने पूर्व सैनिक कनवासी को काबिज भूमि को खाली करने का फरमान जारी किया है। प्रशासन के इस नोटिस से पूर्व सैनिक कनवासी निराश हैं।
सरकार की ओर से पुरस्कार के रूप में आवंटित भूमि को प्रशासन के अवैध बताकर कब्जा हटाने के आदेश से नाराज और आक्रोशित चमोली के काल्सो बगोली गांव निवासी अर्जुन अवॉर्डी पूर्व कैप्टन सुरेंद्र सिंह कनवासी ने पुरस्कार लौटाने की चेतावनी दी है। साथ ही इंसाफ के लिए कोर्ट की शरण ली है। कनवासी ने बताया कि प्रशासन अब कह रहा है कि नियमानुसार आवंटित भूमि के लिए पूर्व सैनिक को जिला प्रशासन से भूमि संबंधी दस्तावेज लेना था, जो उनकी गलती है। कनवासी ने आरोप लगाया कि सरकार व जिला प्रशासन उनके साथ षड़यंत्र रच रहे हैं।
अगर प्रशासन मामले को हल नहीं करता है तो वह अर्जुन अवॉर्ड लौटाने पर बाध्य होंगे। इस मामले में उपजिलाधिकारी संतोष कुमार पांडे का कहना है कि पुरस्कार लौटाना उनका विवेक है। जमीन आवंटन के मामले में स्थानीन निकाय से जानकारी मांगी गई है। पूर्व सैनिक कनवासी ने आवंटित भूमि से हटकर भवन बनाया है, जिसकी शिकायत मिलने के बाद नियमानुसार नोटिस दिया है।