राहुल गांधी खुद पर कोड़े क्यों बरसा रहे थे देखें वीडियो जाने असली कहानी
कांग्रेस के दिन बहुराने को ‘भारत जोड़ो’ यात्रा लेकर निकले राहुल गांधी का एक वीडियो वायरल है। यात्रा के 57वें दिन
और अब तेलंगाना में राहुल गांधी के नेतृत्व यात्रा आगे बढ़ रही है। तेलंगाना में राहुल खुद पर कोड़े बरसाते नजर आए। वायरल हो रही वीडियो में दिख रहा है वीडियो में राहुल गांधी एक भारी रस्सी के बने कोड़े को अपनी ही पीठ पर मारते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके पीछे की वजह बेहद दिलचस्प है तेलंगाना में एक पारंपरिक मॉनसून उत्सव मनाया जाता है जिसे बोनालु कहते हैं। इस उत्सव में स्थानीय युवक अपने शरीर पर हल्दी और चंदन का लेप लगाते हैं और चेहरे पर गाढ़ा लाल पेंट करते हैं, आंखों में काजल, पैरों में पायल बांधते हैं और अपने मुंह में गालों के बगल में नींबू दबा लेते हैं। लोगों को चाबुक मारने के लिए दो भारी रस्सियां उठाते हैं और अपनी जीभ बाहर निकालते हैं, इन्हें पोथाराजस कहा जाता है। राहुल गांधी के हाथों में दिख रहा चाबुक भी इसी उत्सव का हिस्सा है।
जानिए क्या है बोनालु उत्सव
बोनालु उत्सव के दौरान, महिलाएं ‘पोथराजस’ के नेतृत्व में मंदिरों में जुलूस में जाती हैं, जो हिंसक रूप से ढोल की थाप पर नाचती हैं और भीड़ पर कोड़े बरसाती हैं। पोथराजस को सात बहनों का भाई माना जाता है ये हिन्दू देवी महाकाली के विभिन्न रूपों में से एक होता है। इसमें बोनालू एक प्रमुख व्यक्ति होता है जो देवी महाकाली का भाई होता है और देवी की रक्षा के लिए चाबुक चलाता है
देश में खुद पर कोड़े बरसाने वाली कईं घुमंतू जनजातियां भी
आपने कभी न कभी आसपास ऐसे लोगों को घूमते देखा होगा जो खुद पर कोड़े बरसाते हैं, रस्सियों पर चलते हैं। हंटर से खुद को मारने वाले ऐसे लोग आमतौर पर खेल-डोंबारी समुदाय से आते हैं। यह समुदाय मूल रूप से कोलहाटी नाम की घुमंतू जनजाति से ताल्लुक रखता है। अंकुर ट्रस्ट एनजीओ से जुड़ी वैशाली पाटिल के अनुसार, ‘इन जनजातियों में बच्चों यहां तक कि लड़कियों को भी रस्सियों पर चलना सिखाया जाता है।’ पश्चिमी महाराष्ट्र में रहने वाले पोतराज जनजाति समूह के लोग भी खुद पर कोड़े बरसाने के लिए जाने जाते हैं।