क्या फिर गूंजेंगे नारे?” — युवाओं में देशभक्ति की लहर लाने वाले सोशल मूवमेंट का उदय

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क्या फिर गूंजेंगे नारे?” — युवाओं में देशभक्ति की लहर लाने वाले सोशल मूवमेंट का उदय

 

आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाते-मनाते भारत अब स्वतंत्रता की 78वीं सालगिरह पर पहुंच चुका है और इस बीच सोशल मीडिया और ग्राउंड लेवल पर एक नया आंदोलन जन्म ले रहा है जिसका मकसद युवाओं में देशभक्ति की लहर को फिर से जीवित करना है, इस आंदोलन को नाम दिया गया है “क्या फिर गूंजेंगे नारे?” और इसे देशभर के छात्रों, कलाकारों, स्टार्टअप फाउंडर्स और लोकल हीरोज़ ने मिलकर खड़ा किया है, Independence Day 2025 की तैयारियों के बीच यह सोशल मूवमेंट खासा चर्चा में है क्योंकि यह सवाल सीधे नई पीढ़ी से जुड़ा है — क्या वे वही जोश और जुनून दिखा पाएंगे जैसा आज़ादी के दीवानों ने दिखाया था,

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दिल्ली यूनिवर्सिटी, जामिया, जेएनयू, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और मुंबई के कॉलेज कैंपस में इस आंदोलन की शुरुआत पोस्टर, डिजिटल कैंपेन और फ्लैश मॉब्स के जरिए हुई, जहां युवाओं ने तिरंगे हाथ में लेकर “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” जैसे नारे लगाए, सोशल मीडिया पर #KyaPhirGoonjengeNare और #YouthForNation जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे, इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स पर देशभक्ति गीतों के साथ युवाओं के वीडियो वायरल होने लगे,

 

इस सोशल मूवमेंट का सबसे खास पहलू यह है कि यह पूरी तरह डिजिटल और ग्राउंड लेवल पर एक साथ चल रहा है, एक ओर जहां WhatsApp और Telegram ग्रुप्स पर हज़ारों युवा जुड़े हैं, वहीं दूसरी ओर गली-मोहल्लों और गांवों में नारेबाजी, नुक्कड़ नाटक और तिरंगा यात्राओं का आयोजन किया जा रहा है, इस आंदोलन को न तो किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थन है और न ही कोई कॉर्पोरेट स्पॉन्सरशिप, बल्कि इसे युवाओं की आत्मीयता और वॉलंटियरशिप के बल पर खड़ा किया गया है,

 

आंदोलन से जुड़े आयोजकों का कहना है कि आज के दौर में जब युवाओं का झुकाव सिर्फ करियर, टेक्नोलॉजी और ग्लोबल लाइफस्टाइल की ओर होता जा रहा है, ऐसे में देशभक्ति का भाव धीरे-धीरे कमज़ोर हो रहा है, इसीलिए जरूरी है कि नए तरीके से युवाओं को जोड़ा जाए, इसके तहत देशभर में “Patriotism Workshops” आयोजित की जा रही हैं जहां स्कूल और कॉलेज के बच्चे शहीदों की कहानियों से परिचित हो रहे हैं,

 

इसके साथ ही आंदोलन में आर्ट और कल्चर को भी जोड़ा गया है, स्ट्रीट आर्टिस्ट्स ने दीवारों पर स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की ग्रैफिटी बनाई है, कवि सम्मेलन और रैप बैटल्स में भी देशभक्ति थीम पर प्रस्तुतियां दी जा रही हैं, ताकि युवाओं को यह आंदोलन बोरिंग नहीं बल्कि क्रिएटिव और अट्रैक्टिव लगे,

 

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह आंदोलन लंबा चला तो यह भारत के युवाओं में एक नई एकजुटता पैदा कर सकता है, यह न केवल राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करेगा बल्कि लोकतंत्र में युवाओं की सक्रिय भागीदारी को भी मजबूत बनाएगा, कई लोग इसे “21वीं सदी का नया स्वतंत्रता आंदोलन” भी कह रहे हैं जो किसी शासन या औपनिवेशिक ताकत के खिलाफ नहीं बल्कि समाज में जागरूकता और देशभक्ति की कमी के खिलाफ लड़ा जा रहा है,

 

कुल मिलाकर “क्या फिर गूंजेंगे नारे?” नामक यह सोशल मूवमेंट युवाओं की ऊर्जा को एक सकारात्मक दिशा देने की कोशिश है, Independence Day 2025 से पहले इस आंदोलन ने देशभर में चर्चा का विषय बनकर एक नई उम्मीद ज

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