ChatGPT और Gemini जैसे टूल्स से पत्रकारिता में बदलाव: क्या भविष्य का रिपोर्टर अब एआई होगा

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ChatGPT और Gemini जैसे टूल्स से पत्रकारिता में बदलाव: क्या भविष्य का रिपोर्टर अब एआई होगा

 

21वीं सदी की पत्रकारिता अब सिर्फ कलम और कैमरे तक सीमित नहीं रही। जिस रफ्तार से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का विकास हो रहा है, उसने पत्रकारिता की दुनिया को एक नई दिशा दे दी है। आज ChatGPT, Gemini (पूर्व नाम Bard), Claude, और अन्य जनरेटिव एआई टूल्स सिर्फ टेक्नोलॉजी लवर्स की चर्चा नहीं रह गए, बल्कि न्यूज़ रूम्स का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। सवाल यह है कि क्या ये टूल्स पत्रकारिता को आसान बना रहे हैं या फिर इसकी आत्मा को ही खतरे में डाल रहे हैं? क्या अब रिपोर्टर की कलम की जगह मशीन का एल्गोरिदम ले लेगा?

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AI टूल्स, जैसे ChatGPT और Gemini, अब कंटेंट जनरेशन, फैक्ट समरी, हेडलाइन सजेशन, ट्रेंड एनालिसिस और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग जैसे कामों में पत्रकारों की मदद कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, Breaking News की शुरुआती कॉपी अब AI से मिनटों में तैयार की जा सकती है, जिसमें भाषा की सादगी, SEO ऑप्टिमाइज़ेशन और हेडलाइन स्ट्रक्चर ऑटोमैटिकली तैयार हो जाता है। इससे न्यूज़ एजेंसियों का समय तो बचता ही है, साथ ही स्पीड भी बढ़ती है।

 

Gemini जैसे टूल्स गूगल के साथ इंटीग्रेटेड होने के कारण रियल-टाइम सर्च और डेटा अपडेट में काफी उपयोगी साबित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई पत्रकार किसी विषय पर बैकग्राउंड रिसर्च करना चाहता है — जैसे “मणिपुर हिंसा का इतिहास” — तो Gemini कुछ ही सेकंड में सटीक, संदर्भित और संरचित जानकारी प्रस्तुत कर देता है। वहीं, ChatGPT अपनी संवादात्मक शैली और बहुभाषी क्षमताओं के कारण हिंदी पत्रकारिता में भी तेजी से प्रवेश कर रहा है।

 

लेकिन पत्रकारिता सिर्फ डेटा नहीं होती, उसमें संवेदना, दृष्टिकोण और ज़मीन से जुड़ी सच्चाई की महक होती है। यही वो बिंदु है जहां AI टूल्स की सीमाएं सामने आती हैं। एआई न तो现场 (现场 रिपोर्टिंग) कर सकता है, न ही वह किसी पीड़ित की आंखों में देखकर उसके दर्द को महसूस कर सकता है। इसकी स्क्रिप्ट में भावनाएं हो सकती हैं, लेकिन अनुभव नहीं। इसलिए, एआई को पूरी तरह पत्रकार का विकल्प मानना एक बड़ी भूल हो सकती है।

 

हालांकि, इन टूल्स का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है — छोटे न्यूज़ पोर्टल्स जो संसाधन की कमी से जूझते थे, अब AI टूल्स के ज़रिए क्वालिटी कंटेंट बना पा रहे हैं। भारत में कई रीजनल पोर्टल्स अब ChatGPT की मदद से हिंदी, मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में SEO-अनुकूल और आकर्षक हेडलाइंस बना रहे हैं। इससे डिजिटल प्रतिस्पर्धा में वे भी बड़े मीडिया हाउस को टक्कर देने लगे हैं।

 

AI के इस्तेमाल से वॉयसओवर स्क्रिप्टिंग, वीडियो स्क्रिप्ट जनरेशन, न्यूज बुलेटिन की तैयारी, और यहां तक कि पॉडकास्ट के लिए बेस टोन तक तैयार होने लगे हैं। न्यूज़ एंकर अब एआई टेलीप्रॉम्प्टर और स्क्रिप्ट एनालाइजर की मदद से फटाफट अपडेट तैयार कर पा रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि अगर सब कुछ एआई ही करेगा, तो पत्रकार की रचनात्मकता, उसकी सच्चाई को परखने की ताकत और उसकी ज़मीनी पकड़ का क्या होगा?

 

यही वजह है कि कई वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया शिक्षाविद AI को एक “सहयोगी” मानते हैं, “विकल्प” नहीं। उनका मानना है कि AI टूल्स का प्रयोग एडिटिंग, रिसर्च और स्पीड के लिए बेहतरीन है, लेकिन फील्ड रिपोर्टिंग, इन्वेस्टिगेशन और मानव-संवेदना आधारित पत्रकारिता आज भी इंसानी दिमाग की ही मांग करती है।

 

AI पत्रकारिता में Deepfakes, Fake News, और Bias की समस्याएं भी ला रहा है। अगर एआई को गलत इनपुट्स या डेटा मिल जाए, तो वह फर्जी खबरें फैला सकता है। इससे न सिर्फ मीडिया की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है, बल्कि सामाजिक भ्रम और अफवाहें भी तेजी से फैल सकती हैं। इसलिए AI टूल्स का प्रयोग सोच-समझकर और ज़िम्मेदारी से करना ज़रूरी है।

 

दूसरी ओर, ChatGPT जैसे टूल्स पत्रकारिता छात्रों के लिए एक वरदान बनकर उभरे हैं। उन्हें एआई के ज़रिए जल्दी-से-जल्दी रिपोर्टिंग स्टाइल, लेखन पैटर्न, SEO फ्रेंडली स्क्रिप्ट और भाषा-संवेदनशीलता सिखाई जा रही है।

 

आख़िरकार, AI और पत्रकारिता का रिश्ता ऐसा बन चुका है जैसे तकनीक और इंसान — दोनों को एक-दूसरे की ज़रूरत है, लेकिन नेतृत्व इंसान के हाथ में रहना चाहिए। आने वाले वर्षों में यह संभव है कि न्यूज़रूम्स में “AI एडिटर” और “AI रिसर्चर” जैसी भूमिकाएं आम हो जाएं, लेकिन इनकी निगरानी और दिशा तय करने वाला हमेशा एक मानव पत्रकार ही रहेगा।

 

तो क्या पत्रकारिता बदल रही है? जी हां। लेकिन क्या पत्रकार खत्म हो रहे हैं? बिल्कुल नहीं। ChatGPT और Gemini जैसे AI टूल्स पत्रकारिता को नया आकार जरूर दे रहे हैं, लेकिन इसका आत्मा — यानि सच्चाई की खोज, मानव संवेदना और निष्पक्षता — अभी भी पत्रकार के दिल और दिमाग से ही निकलती है।

 

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