चुनाव 2025 में महिला शक्ति – बढ़ती भागीदारी और महिला मतदाताओं का बदलता असर
भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, और 2025 का चुनाव इस बदलाव का एक अहम पड़ाव साबित हो सकता है। पहले जहां महिलाओं की वोटिंग टर्नआउट दर पुरुषों से कम हुआ करती थी, अब कई राज्यों में यह बराबरी पर आ चुकी है और कुछ जगहों पर तो महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा है। इसका सीधा मतलब है कि राजनीतिक दल अब महिला मतदाताओं को केवल ‘सपोर्टिंग वोट बैंक’ नहीं बल्कि चुनावी जीत-हार का निर्णायक फैक्टर मानने लगे हैं। 2025 में महिला मतदाता न केवल वोट डालने के मामले में सक्रिय हैं बल्कि चुनावी एजेंडा सेट करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
इस बार के चुनावी मैनिफेस्टो में महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं का बोलबाला है — जैसे महिला आरक्षण बिल का प्रभावी लागू होना, फ्री या सस्ती पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधाएं, महिला सुरक्षा हेल्पलाइन और CCTV निगरानी, सेल्फ-डिफेंस ट्रेनिंग, महिला उद्यमियों के लिए आसान लोन और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स। ग्रामीण इलाकों में राजनीतिक दल ‘महिला स्वयं सहायता समूह’ (Self Help Groups) और ‘मनरेगा’ जैसी योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में वर्किंग वूमेन के लिए चाइल्ड केयर सेंटर, फ्लेक्सिबल वर्क पॉलिसी और डिजिटल वर्कस्पेस को लेकर वादे किए जा रहे हैं।
महिला मतदाताओं पर असर डालने के लिए चुनाव प्रचार की रणनीति भी बदल रही है। राजनीतिक दल अब महिलाओं के लिए अलग कैंपेन चला रहे हैं, जिसमें महिला नेताओं को आगे रखकर संवाद किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर ‘Women for Change’ और ‘Vote for Equality’ जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। टीवी और रेडियो पर भी महिला-केंद्रित चुनावी विज्ञापन पहले से कहीं ज्यादा हैं, जो घरेलू बजट, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार अवसरों जैसे मुद्दों को सीधे टारगेट करते हैं।
2025 में एक और दिलचस्प ट्रेंड यह है कि महिला मतदाता अब इश्यू-बेस्ड वोटिंग की ओर बढ़ रही हैं। पहले कई बार वोटिंग का पैटर्न परिवार या समुदाय के अनुसार तय होता था, लेकिन अब महिलाएं अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर निर्णय ले रही हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता और पर्यावरण — ये सभी विषय महिला मतदाताओं के फैसले को प्रभावित कर रहे हैं।
चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि अगर महिला मतदाताओं की भागीदारी इसी रफ्तार से बढ़ती रही, तो आने वाले वर्षों में भारत की राजनीति में महिला नेताओं की संख्या भी तेजी से बढ़ेगी। इसके अलावा, महिलाओं का संगठित रूप से किसी उम्मीदवार या पार्टी को सपोर्ट करना, चुनावी समीकरण को पूरी तरह बदल सकता है।
2025 का चुनाव यह साबित कर सकता है कि महिला मतदाता अब केवल चुनावी आंकड़ों का हिस्सा नहीं बल्कि पॉलिटिकल गेमचेंजर हैं। आने वाले नतीजे यह भी दिखाएंगे कि क्या राजनीतिक दलों के वादे केवल मैनिफेस्टो तक सीमित रह जाते हैं या फिर वास्तव में महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सफल होते हैं।