इस्लाम में महिलाओं के हक़ और सम्मा
इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसने उस दौर में महिलाओं को अधिकार, सम्मान और गरिमा प्रदान की, जब पूरी दुनिया में और विशेषकर अरब समाज में महिलाएं उपेक्षित और शोषण का शिकार थीं। इस्लाम की शिक्षा और क़ुरआन की आयतों ने महिलाओं को न केवल आध्यात्मिक बराबरी दी, बल्कि उन्हें सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक और वैधानिक अधिकार भी प्रदान किए। इस्लाम में औरत को माँ, बहन, पत्नी और बेटी के रूप में उच्च स्थान दिया गया है। पैग़म्बर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया – “जन्नत माँ के क़दमों के नीचे है”, जिससे स्पष्ट होता है कि इस्लाम में माँ के रूप में महिला को कितना ऊँचा दर्जा दिया गया है। इसके अलावा, बेटी के पालन-पोषण को जन्नत का ज़रिया बताया गया है और पत्नी के साथ अच्छे व्यवहार को ईमान की निशानी करार दिया गया है। इस्लाम ने महिला को संपत्ति में हिस्सा दिया, जिसे उस समय दुनिया में कहीं और नहीं दिया जाता था। क़ुरआन की सूरह अन-नि
सा (मह