उत्तराखंड में बढ़ रहे हैं बालात्कार।
Dehradun News : देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में बालात्कार के आंकड़े अब डराने लगे हैं। ये आंकड़े उत्तराखंड (Uttarakhand) में महिला सुरक्षा के दावों का भी पोल खोलती हैं। उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य में जिसे देवस्थली भी कहा जाता है वहां महज एक साल में उत्तराखंड में 872 बलात्कार के मामले दर्ज होना, महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। इस बाबत कॉन्ग्रेस ने भी सरकार को घेरते हुए कहा है कि कांग्रेस (Congress) पहले से ही कहती आ रही है कि सरकार हर मामले पर विफल है और राज्य की महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम है। दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बलात्कार के बढ़ते आंकड़े उनके बयान को सही साबित करते हैं।
बालात्कार के आंकड़े की बात करें तो उत्तराखंड में 2020 में 570 मामले और 2021 में बलात्कार के 740 मामले पंजीकृत हुए थे. जबकि 2022 में बलात्कार के केस बढ़कर 872 तक पहुंच गया। इसी वर्ष अंकिता हत्याकांड के मामले ने तूल पकड़ा था और राज्य में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लगे थे। राज्य में बढ़ते बलात्कार की घटनाओं पर चिंता करने की बजाय उत्तराखंड के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी. मुरुगेशन अपनी पुलिस की पीठ थपथपा रहे हैं और कह रहे हैं कि पुलिस ज्यादा केस पंजीकृत कर रही है और यहां की महिलाएं जागरूक है इसलिए बलात्कार के मामले साल ज्यादा सामने आ रहे हैं।
सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता विरेंद्र बिष्ट भी बलात्कार के बढ़ते केस के मामले में बचाव की मुद्रा में दिखे। उनका भी वही तर्क था कि उत्तराखंड की महिलाएं है ज्यादा पढ़ी लिखी और जागरूक हैं और यहां की पुलिस सचमुच मित्र पुलिस हो गई है इसीलिए बलात्कार के सभी मामले पंजीकृत हो रहे हैं।