हरिद्वार साधु संतो ने किया मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने का स्वागत, धर्माचार्यों से की अपील

हरिद्वार साधु संतो ने किया मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने का स्वागत, धर्माचार्यों से की अपील
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हरिद्वार साधु संतो ने किया मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने का स्वागत, धर्माचार्यों से की अपील

Haridwar News : अभी हाल ही में महानिर्वाणि अखाड़े के अंर्तगत आने वाले तीन मंदिरों में छोटे कपड़े पहनकर आने पर रोक लगाने का फैसला मंदिर के मुख्य महंत रविंद्रपुरी द्वारा लिया गया और उन्होंने लोगों से अपील की है कि लोग छोटे कपड़े पहनकर मंदिरों में न आए। महंत रविंद्रपुरी की इस पहल का हरिद्वार के अन्य साधु संतो ने समर्थन किया है। शांभवी धाम के पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप और बड़ा अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी रुपेंद्रप्रकाश ने इस पहल का स्वागत किया और कहा कि हरिद्वार (Haridwar) ही नही पूरे उत्तराखंड (Uttarakhand) के मंदिरों में ड्रेस कोड लागू होना चाहिए।

स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि सभी मंदिरों में ड्रेस कोड (Dress Code) लागू होना चाहिए। मंदिरों में पिकनिक मनाया मनाने नहीं जाया जाता है। दक्षिण भारत (South India) के सभी मंदिरों में लोग शालीनता के साथ जाते है और पूजा अर्चना करते है। स्वामी आनंद स्वरूप ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हर की पौड़ी पर आए दिन ऐसे मामले सामने आते हैं कि लोग धार्मिक मर्यादाओं को लांग कर उल्टी-सीधी दिल से बनाते हैं जो सनातन धर्म के विरुद्ध है इसलिए वह चाहते हैं कि हर की पौड़ी समेत सभी मंदिरों में ड्रेस कोड लागू होना चाहिए सनातन धर्म की संस्कृति और सभ्यता के लिए यह बहुत जरूरी है जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उन्हें भी इसके बारे में समझना चाहिए। जो लोग भी इस व्यवस्था का विरोध करेंगे उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने कहा कि मंदिरों में मर्यादित कपड़े पहन कर ही जाना चाहिए जिन धर्माचार्यों ने इसकी पहल की है उनका वो आभार व्यक्त करते है। वह अन्य धर्माचार्य और तीर्थ पुरोहितों से भी अपील करते हैं कि वह भी मंदिरों में साइन बोर्ड लगाएं कि लोग मर्यादित कपड़े पहन कर ही मंदिर में आए। देश के अन्य लोगों को भी ड्रेस कोड का समर्थन करना चाहिए लेकिन कुछ कम्युनिस्ट लोग इसका विरोध करेंगे और नियम कानून का हवाला भी देंगे लेकिन सनातन धर्म की संस्कृति सभ्यता को बचाने के लिए धर्माचार्य को ही पहल करनी होगी और मंदिरों में अमर्यादित कपड़े पहन कर आने वाले लोगों को रोकना होगा ताकि देश की संस्कृति सभ्यता बची रहे।

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गौरतलब है कि हरिद्वार में आए दिन हर की पौड़ी पर रील्स बनाने की वीडियो सामने आते रहते हैं इसके बाद साधु-संतों ने मंदिरों समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर ड्रेस कोड लगाने की कवायद शुरू कर दी है अब देखना होगा कि साधु-संतों की इस पहल का शासन प्रशासन पर क्या असर होता है क्या प्रशासन साधु-संतों की इस अपील का समर्थन करते हुए पूरे प्रदेश में यह व्यवस्था लागू कर पाता है या नहीं।

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