धामी का रिकॉर्ड ऐतिहासिक, लेकिन काशीपुर में फोटोबाज़ी सियासी!

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धामी का रिकॉर्ड ऐतिहासिक, लेकिन काशीपुर में फोटोबाज़ी सियासी!

 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ऐसा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है जो राज्य के राजनीतिक इतिहास में अब तक कोई और मुख्यमंत्री नहीं बना सका। राज्य गठन के बाद से यह पहली बार है कि किसी भाजपा मुख्यमंत्री ने लगातार चार साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है।

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पुष्कर सिंह धामी 4 जुलाई 2021 को मुख्यमंत्री बने थे और आज, जुलाई 2025 तक वे बिना किसी ब्रेक या इस्तीफे के इस पद पर बने हुए हैं। यह उपलब्धि इसलिए भी बड़ी है क्योंकि उत्तराखंड में शुरू से ही मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा रही है। इससे पहले राज्य में केवल एक मुख्यमंत्री — नारायण दत्त तिवारी — ही थे जिन्होंने 2002 से 2007 तक पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। उसके बाद जितने भी मुख्यमंत्री बने, वे या तो पार्टी ने बदल दिए या राजनीतिक समीकरणों में उलझकर खुद हट गए। राज्य गठन के बाद अब तक उत्तराखंड में कुल 11 मुख्यमंत्री रह चुके हैं। सबसे पहले नित्यानंद स्वामी बने, जिन्होंने 9 नवंबर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक शासन किया। फिर भगत सिंह कोशियारी आए, जिनका कार्यकाल 30 अक्टूबर 2001 से 1 मार्च 2002 तक रहा। इसके बाद कांग्रेस के एन.डी. तिवारी ने पूरे 5 साल का कार्यकाल पूरा किया — 2 मार्च 2002 से 7 मार्च 2007 तक। फिर बीजेपी के बीसी खंडूड़ी (2007-2009), रमेश पोखरियाल निशंक (2009-2011), फिर दुबारा बीसी खंडूड़ी (2011-2012), विजय बहुगुणा (2012-2014), हरीश रावत (2014-2017), त्रिवेंद्र सिंह रावत (2017-2021), तीरथ सिंह रावत (2021 में सिर्फ कुछ महीने), और अब पुष्कर सिंह धामी, जिनका कार्यकाल अब 4 साल पार कर चुका है और अभी जारी है।

 

 

इस ऐतिहासिक मौके पर जहां सरकार और पार्टी कार्यकर्ता जश्न के मूड में हैं, वहीं काशीपुर जैसे शहर में कुछ स्थानीय ‘सक्रिय’ लोग इस मौके का इस्तेमाल अपने निजी प्रचार और प्रभाव जमाने के लिए कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री धामी के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें शेयर कर यह साबित करने की कोशिश की कि उनके मुख्यमंत्री से करीबी संबंध हैं। मकसद साफ है — जनता को यह विश्वास दिलाना कि वे मुख्यमंत्री के ‘अपने खास आदमी’ हैं, ताकि किसी सिफारिशी फायदे में उन्हें ‘पहुंच वाला’ माना जाए।

 

 

लेकिन यह बात भी उतनी ही स्पष्ट है कि एक प्रदेश का मुख्यमंत्री पूरे राज्य का होता है, और कोई भी व्यक्ति – चाहे वह आम नागरिक हो या पार्टी कार्यकर्ता – अगर किसी सार्वजनिक मंच पर मुख्यमंत्री से मिलता है और उनके साथ एक तस्वीर खिंचवा लेता है, तो वह तस्वीर संबंध का प्रमाण नहीं बन जाती। फोटो खिंचवाना गौरव की बात हो सकती है, लेकिन जब उस फोटो का इस्तेमाल किसी राजनीतिक या व्यक्तिगत फायदे के लिए किया जाए, तो यह सिर्फ एक ‘दिखावा’ रह जाता है। जनता भी अब इतनी जागरूक हो चुकी है कि वह जानती है असली संबंध उस सेवा और ईमानदारी में होते हैं जो ज़मीन पर दिखाई देती है, न कि फेसबुक स्टोरी या प्रोफाइल पिक में। पुष्कर सिंह धामी का चार साल का कार्यकाल एक बड़ी राजनीतिक उपलब्धि है, खासकर उस राज्य में जहां मुख्यमंत्री का कार्यकाल हमेशा अस्थिरता का शिकार रहा है। लेकिन यह उपलब्धि तभी सार्थक मानी जाएगी जब लोग इसे एक उदाहरण की तरह देखें, न कि केवल खुद को बड़ा दिखाने के लिए एक औजार बनाएं।

 

 

काशीपुर में इस तरह की फोटो पॉलिटिक्स से यह साफ हो गया है कि अब राजनीति में दिखावे का दौर हावी होता जा रहा है, लेकिन फोटो से वर्चस्व नहीं बनता, जनता सब देख और समझ रही है। इसलिए बेहतर यही होगा कि लोग मुख्यमंत्री के साथ फोटो दिखाने से पहले अपने ज़मीनी काम दिखाएं, क्योंकि तस्वीरें बोलती हैं — पर सच नहीं बताती।

 

 

 

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