अपनों को मनाने पहुंची अलका पाल मनोज अग्रवाल को मिठाई खिलाकर क्या कांग्रेस में थम गई बगावत?

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अपनों को मनाने पहुंची अलका पाल मनोज अग्रवाल को मिठाई खिलाकर क्या कांग्रेस में थम गई बगावत?

अज़हर मलिक

काशीपुर कांग्रेस में महानगर अध्यक्ष पद को लेकर पिछले दिनों जो राजनीतिक भूचाल आया था, आज उसकी तस्वीर कुछ बदली-बदली दिखाई दी। हाई कमान द्वारा अलका पाल को काशीपुर महानगर अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी में खुलकर बगावत हुई थी। ज्यादातर पार्षदों और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने मनोज अग्रवाल को सबसे मजबूत दावेदार माना था, लेकिन अचानक आए फैसले ने संगठन में असंतोष फैला दिया। निजी होटल में हुई मीटिंग में कांग्रेसियों ने हाई कमान पर जमीन की हकीकत न समझने का आरोप लगाते हुए कड़ा विरोध जताया था।

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लेकिन आज जो तस्वीर सामने आई, उसने पूरे विवाद को एक नए मोड़ पर ला दिया है। नवनियुक्त महानगर अध्यक्ष अलका पाल खुद मनोज अग्रवाल के प्रतिष्ठान पर पहुंचीं और उन्हें मिठाई खिलाई। दोनों ने मुस्कुराते हुए बातचीत की और यह संदेश देने की कोशिश की कि संगठन एकजुट है, मतभेद खत्म हो रहे हैं और काशीपुर कांग्रेस फिर से मजबूत होती दिख रही है। यह मुलाकात अपने आप में कई तरह के राजनीतिक संकेत देती है कि कांग्रेस के भीतर दरारें पाटने की कोशिश अब शुरू हो गई है।

 

 

हालांकि सवाल अभी भी उतने ही बड़े हैं—क्या यह मुलाकात नाराज़ कार्यकर्ताओं को शांत कर सकेगी? क्या यह तस्वीर वास्तव में असंतोष को खत्म कर पाएगी या यह सिर्फ सियासी प्रबंधन की कोशिश है? मनोज अग्रवाल को गलत तरीके से दरकिनार किए जाने का आरोप लगातार उठता रहा है और समर्थक अभी भी मानते हैं कि मैदान में सबसे मजबूत दावेदार वही थे। ऐसे में एक मुलाकात से क्या काशीपुर के अंदर की राजनीति सामान्य हो पाएगी, इस पर अभी संदेह बरकरार है।

 

 

कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं का मानना है कि 2027 विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को एकजुट रखना ज़रूरी है। काशीपुर सीट को लेकर पार्टी की उम्मीदें बेहद ऊंची हैं और पिछले कई चुनावों से जिस तरह लगातार चूक हो रही है, वह अब हाई कमान को भी चिंता में डाल रही है। आज की मुलाकात को इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया जा रहा है, क्योंकि अगर असंतोष गहराता रहा तो इसका सीधा प्रभाव कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर पड़ेगा।

 

 

फिलहाल, काशीपुर में अलका पाल द्वारा मनोज अग्रवाल के पास जाकर मिठाई खिलाने की तस्वीर ने माहौल को जरूर बदला है। लेकिन असली सवाल अभी भी हवा में तैर रहा है—क्या यह बगावत पर पूर्णविराम है या कहानी अभी बाकी है? आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि यह मुलाकात रिश्ते सुधारने की सच्ची कोशिश थी या 2027 से पहले पार्टी में बढ़ती दरारों को कैमरे के फ्लैश से ढकने का प्रयास।

 

 

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