सूर्या फैक्ट्री काशीपुर में हाइड्रोजन सिलेंडर ब्लास्ट, एक की मौत, दर्जनभर घायल आयुष्मान हॉस्पिटल ने समय रहते बचाई कई जानें

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सूर्या फैक्ट्री काशीपुर में हाइड्रोजन सिलेंडर ब्लास्ट, एक की मौत, दर्जनभर घायल आयुष्मान हॉस्पिटल ने समय रहते बचाई कई जानें

अज़हर मलिक 

उत्तराखंड के औद्योगिक शहर काशीपुर में गुरुवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब सूर्या रोशनी लिमिटेड फैक्ट्री में सुबह 11:30 बजे भीषण धमाके के साथ हाइड्रोजन सिलेंडर ब्लास्ट हो गया।
धमाका इतना जबरदस्त था कि फैक्ट्री की दीवारें तक कांप उठीं और परिसर में अफरातफरी का माहौल बन गया। कर्मचारियों में चीख-पुकार मच गई और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ते नजर आए। इस हादसे में लगभग एक दर्जन लोग घायल हो गए, जिनमें से एक कर्मचारी की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक अन्य की हालत बेहद नाज़ुक है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि स्थिति नहीं सुधरी तो उसका पैर काटना पड़ सकता है। हादसे के बाद घायल कर्मचारियों को तुंरत काशीपुर-मुरादाबाद रोड स्थित आयुष्मान मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर विकास गहलोत और उनकी कुशल मेडिकल टीम ने अपनी तत्परता और विशेषज्ञता से कई जिंदगियों को मौत के मुंह से निकाल लिया। डॉक्टर गहलोत की सक्रिय निगरानी और स्टाफ की मुस्तैदी ने समय पर उपचार को संभव बनाया, जिसके लिए घायल परिवारों ने उनका आभार जताया है।
लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ब्लास्ट में करीब 10 से 12 लोग बुरी तरह झुलसे हैं और कुछ की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। घटना के तुरंत बाद फैक्ट्री को पूरी तरह सील कर दिया गया और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। राहत एवं बचाव कार्य के लिए पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच चुकी है और स्थिति पर नजर बनाए हुए है। काशीपुर को ‘उद्योग नगरी’ के नाम से जाना जाता है लेकिन सूर्या फैक्ट्री में हुए इस खतरनाक धमाके के बाद अब स्थानीय लोगों में डर और चिंता का माहौल है।
 लोग अब IGL, नैनी पेपर मिल और अन्य केमिकल प्लांट्स को लेकर भी आशंकित हैं कि कहीं अगला हादसा वहां न हो जाए। सूर्या फैक्ट्री के बाहर भारी संख्या में लोग जमा हैं, हर चेहरा डरा हुआ है और हर जुबान पर एक ही सवाल है — क्या हमारी फैक्ट्रियों में सुरक्षा के मानक अब भी सिर्फ फाइलों तक ही सीमित हैं? और क्या अगला धमाका किसी और परिवार की रोशनी छीन लेगा? यह हादसा न सिर्फ लापरवाही की पोल खोलता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि आपात स्थिति में सक्षम अस्पताल और समर्पित डॉक्टर ही जिंदगी की अंतिम उम्मीद बनते हैं — जैसा कि आज काशीपुर के आयुष्मान हॉस्पिटल ने कर दिखाया।
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