वार्ड नंबर 36 की दिलचस्प लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी की सियासी जंग में तीसरे चेहरे बने रोड़ा
अज़हर मलिक
काशीपुर निकाय चुनाव में पार्षद पद के लिए मुकाबला दिन-ब-दिन दिलचस्प होता जा रहा है। वार्ड नंबर 36 में कांग्रेस ने शाह आलम पर भरोसा जताया है, लेकिन उनकी राह में कई चुनौतीपूर्ण चेहरे हैं जो न सिर्फ मुकाबले को रोचक बना रहे हैं बल्कि कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का मंसूबा भी रखते हैं।
दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी ने मनोज कांबोज को मैदान में उतारा है। अब तक के समीकरणों के अनुसार, उनकी स्थिति मजबूत नजर आ रही है।
वार्ड नंबर 36 में अल्पसंख्यक समुदाय के वोटरों का बंटवारा इस चुनाव की कहानी को नया मोड़ दे रहा है। शाह आलम के विरोध में एक प्रत्याशी ने अपनी पत्नी रूबी अंसारी को मैदान में उतारा है। हालांकि, रुबीना जीत की दौड़ में नहीं दिखतीं, लेकिन कांग्रेस के वोटों में सेंध लगाने की भूमिका निभा सकती हैं।
दूसरी तरफ, विपिन कांबोज ने वार्ड 39 से अपनी पत्नी अनीता कांबोज को बीजेपी के टिकट पर उतारकर ओर खुद वार्ड नंबर 36 से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में “बस” चुनाव चिन्ह से मैदान में उतरने का फैसला किया है। विपिन कांबोज के इस कदम से ऐसा ज़ाहिर होता है जैसे उनका लक्ष्य अल्पसंख्यक वोटों को बांटकर समीकरण बदलना है।
परवेज आलम का कहना है कि वार्ड में अधिकांश प्रत्याशी विकास के मुद्दों से दूर हैं और चुनाव लड़ने का असली मकसद कांग्रेस के वोट बैंक को कमजोर करना है ताकि बीजेपी की जीत की राह आसान हो सके।
शाकिर अंसारी के अनुसार, मनोज कांबोज के वोट बैंक पर सेंध लगने की संभावना कम है, लेकिन विपिन कांबोज का निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ना मुस्लिम वोटों में बंटवारा कर सकता है। इससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है।
वार्ड नंबर 36 में इस बार का चुनाव न केवल कांग्रेस और बीजेपी के बीच है, बल्कि कई निर्दलीय प्रत्याशी इसे त्रिकोणीय और जटिल बना रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि अल्पसंख्यक वोटों का बंटवारा किसके पक्ष में जाता है और कौन बाजी मारता है।