DM के आदेश के बाद भी स्कूलों में बुलाया गया स्टाफ, काशीपुर प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
अज़हर मलिक
काशीपुर से एक बेहद चौंकाने वाली और प्रशासन को कटघरे में खड़ा करने वाली खबर सामने आई है। उधम सिंह नगर के जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने 4 अगस्त 2025 को एक स्पष्ट आदेश जारी किया था, जिसमें जिले भर के सभी सरकारी, गैर-सरकारी, सहायता प्राप्त, निजी और मान्यता प्राप्त स्कूलों को 5 अगस्त को बंद रखने का निर्देश दिया गया था। यह आदेश भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी भारी बारिश और आकाशीय बिजली गिरने की चेतावनी के बाद लिया गया था। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्र न केवल छात्रों के लिए बल्कि स्टाफ के लिए भी पूर्णतः बंद रहेंगे।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि काशीपुर क्षेत्र के कई निजी स्कूलों ने इस आदेश की खुलेआम अवहेलना की। उन्होंने छात्रों की छुट्टी तो घोषित कर दी, लेकिन स्टाफ को मौखिक रूप से बुला लिया गया। शिक्षकों से स्कूल आने को कहा गया, उन्हें बैठाकर “हाजिरी की खानापूर्ति” कराई गई — मानो आदेश कोई मज़ाक हो। यही नहीं, यह सिलसिला 6 अगस्त को भी दोहराया गया। एक बार फिर DM द्वारा स्कूल बंद रखने का आदेश जारी हुआ, लेकिन कुछ स्कूल फिर भी अपने स्टाफ को बुलाने से नहीं चूके।
अब सवाल उठता है कि जब जिलाधिकारी का आदेश इतना साफ था, तो काशीपुर का लोकल प्रशासन क्या कर रहा था? जिन अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है यह सुनिश्चित करने की कि आदेश का पालन हो — वे आखिर किस नींद में हैं? क्या उन्हें इन स्कूलों की जानकारी नहीं? या फिर वो भी इस लापरवाही में मौन भागीदार बन चुके हैं?
काशीपुर के स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता पर अब लोग सीधे सवाल उठा रहे हैं। अभिभावकों और स्थानीय नागरिकों का गुस्सा साफ झलक रहा है। उनका कहना है कि अगर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत आदेश जारी होता है और फिर भी अधिकारी चुप बैठे रहते हैं, तो ये सिर्फ आदेश की नहीं — जनता की सुरक्षा की भी अनदेखी है।
क्या काशीपुर प्रशासन की कलम सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई है? या फिर ऐसे अधिकारी अब DM के आदेशों को महज़ “एक कागज़ का टुकड़ा” समझते हैं, जिनका ज़मीनी असर ना के बराबर होता है? यदि कार्रवाई नहीं होती, तो यह एक खतरनाक परंपरा को जन्म देगा — जहां स्कूल प्रशासन DM के निर्देशों की सिर्फ दिखावटी पालना करेगा और स्टाफ को जबरन बुलाता रहेगा।
प्रशासन को यह समझना होगा कि आदेश तब ही असरदार होते हैं, जब उन्हें लागू करने वाला तंत्र ज़मीन पर सक्रिय हो। वरना स्कूलों की यह मनमानी और अधिकारियों की चुप्पी — दोनों मिलकर शासन व्यवस्था की साख को गिरा देंगे। अब देखना यह होगा कि क्या काशीपुर प्रशासन जागेगा