कुंडा हत्याकांड पर सियासत हुई तेज, प्रदर्शन पर सस्पेंस बरकरार
ऊधमसिंह नगर के काशीपुर में हुए कुंडा हत्याकांड की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। आलम ये है कि इस आग की लपटों में उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश पुलिस दोनों ही आ गई है और एक दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप जड़ रही है। जहां एक तरफ इस पूरे मामले में उत्तराखंड पुलिस बिना बताए दबिश देने आई यूपी पुलिस में शुरुआती दौर से सवाल खड़े कर रही है। तो वहीं यूपी पुलिस भी फ्रंट फुट में आते हुए एक के बाद एक उत्तराखंड पुलिस को अपने तीखे तेवर दिखा रही है। इन सबके बीच ट्विस्ट की बात ये है कि हत्याकांड के इस खेल में अब पीड़ित ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख भी आ गए है। ज्येष्ठ प्रमुख अपनी पत्नी को खोने से भावुक है और लगातार इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए CBI जांच की मांग कर रहे है। इतना ही नहीं पत्नी ही हत्या से आहत होते हुए ज्येष्ठ प्रमुख लगातार गुहार लगा रहे है कि उनको कार्यवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है। ज्येष्ठ प्रमुख ने प्रदर्शन वाली बात को भी नकारते हुए कहा कि उनके शुभचिंतक प्रदर्शन करने की बात कर रहे है।
बताया जा रहा है कि यूपी पुलिस ने भी कड़े तेवर दिखाते हुए ज्येष्ठ प्रमुख के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया है। तो वहीं इस मर्डर केस से आक्रोशित हुए सिख समुदाय ने आरोपियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सिख समुदाय के लोगों का कहना है कि मामले पर दोनों ही राज्य ने उन्हें चिढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि मुरादाबाद पुलिस पहले तो उत्तराखंड में दबिश देकर फायरिंग में मौत कर देती है और जब पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगता है तो उनके खिलाफ ही मुकदमे दर्ज कर दिए जाते है। उन्होंने कहा कि खबरें है कि मुरादाबाद पुलिस ने पीड़ित परिवार के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए है। इतना ही नहीं सिख समुदाय के लोगों ने उत्तराखंड के सिस्टम पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि अंकिता हत्याकांड और कुंडा हत्यकांड ने प्रदेश की हिला कर रख दिया है लेकिन हैरानी की बात ये है कि सरकार और यंहा का सिस्टम प्रदेश की दोनों बेटियों के साथ दोहरा व्यवहार कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब अंकिता हत्यकांड हुआ तब सीएम धामी से लेकर प्रशासन तक अलर्ट हो गए और पीड़ित परिवार को दुख जताने पहुंचे लेकिन कुंडा हत्याकांड में शासन और प्रशासन मौन साधे हुए है। उन्होंने कहा कि जब तक आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक्शन नहीं लिया जाता वह चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन भी होकर रहेगा और पीड़ित परिवार को न्याय भी मिलेगा। ऐसे में देखने वाली बात ये है कि जहां एक तरफ इस पूरे मामले में पीड़ित ज्येष्ठ प्रमुख प्रदर्शन की बात को नकार रहे है तो वहीं सिख समुदाय के प्रदर्शन का अल्टीमेटम दे रहा है। उधर उत्तराखंड और
उत्तरप्रदेश के बढ़े विवाद की लकीर के बीच क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाता है य नहीं।