झोला छाप मौत के सौदागर डॉक्टरों के कारनामे। इंसान की ज़िदगी को समझते हैं खले।
अज़हर मलिक
Kashipur Big News : उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में हर जगह जगह झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई गम्भीर बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र भी कम देखी जा रही है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में काशीपुर में निजी अस्पताल में रेफर करके भेज दिया जाता है। और इस जिंदगी ओर मौत की लड़ाई में भी इन झोला छाप डॉक्टरों का कमीशन फिक्स हो जाता है।
जबकि यह झोला छाप डॉक्टरों के कारनामे स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है। पर जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई की कलम चलाने को तैयार नहीं। काशीपुर के गांव गांव और शहर शहर के मोहल्ले में भी डिस्पेंसरी खोलकर मरीजों का धड़ल्ले से इलाज कर रहे हैं। बिना डिग्रीधारी डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होने के कारण उनके हौसले बुलंद हैं।
इन झोला छाप मौत के सौदागरों की लगाम स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने क्यो इतनी ढीली छोड़ी है। जिन जिम्मेदार अधिकारियों को इंसान की ज़िदगी की हिफाजत की जिम्मेदारी की डोर सरकार ने जिन अधिकारियों के हाथ सौपी है वो अधिकारी शायद किसी बड़ी जनहानी के होने का इन्तेजार कर रहे हैं।
बिना डर के इंसानों की जिंदगी से यह झोलाछाप डॉक्टर खिलवाड़ करते हैं लेकिन उनको रोकने के लिए कोई तैयार नहीं हां अगर कुछ हादसा हो जाता है तो उसके बाद हमदर्दी दिखाने के लिए केंद्र के नेता हो या फिर राज्य के नेता ट्विटर पर पोस्ट कर देते है। और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई भी हो जाती है। लेकिन जिसके घर का चिराग बुझ जाता है उसका दर्द कोई नही समझता है कभी ना भरपाई होने वाली जनहानि को लोग चंद दिनों में भूल भी जाते हैं।
लेकिन इंतजार सिर्फ बड़े हादसे के होने का किया जाता है उससे पहले अगर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई सरकार द्वारा कर दी जाए तो शायद ना तो जनपद में कोई हादसा हो ना झोला छाप डॉक्टरो की भरमार होगी और ना ही किसी की जिंदगी के साथ कोई खिलवाड़ होगा। फेसबुक ट्विटर (X)पर एक पोस्ट डाल देने से किसी जनप्रतिनि की जिम्मेदारी पूरी नही हो जाती है।