उत्तराखंड की सच्चाई ने हिला दिया सोशल मीडिया जब सच ने भीड़ में अपनी आवाज़ बुलंद की!
जब देश की पत्रकारिता TRP की मंडी में बिक रही थी, तब एक आवाज़ आई — बिना किसी बड़े स्टूडियो के, बिना किसी मीडिया माफिया के — सिर्फ सच्चाई की मशाल लेकर, और उस आवाज़ का नाम है “उत्तराखंड की सच्चाई”।
आज सोशल मीडिया पर इस डिजिटल चैनल ने ऐसा तूफ़ान मचा दिया है, जो केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देशभर के कोनों तक गूंज रहा है। फेसबुक पर एक ही वीडियो ने 3 लाख 74 हज़ार व्यूज़ के साथ डिजिटल बारूद में आग लगा दी, इंस्टाग्राम पर 3.79 लाख, 2.66 लाख और 1.30 लाख व्यूज़ वाले वीडियो सच को गली-गली पहुंचा रहे हैं, और यूट्यूब पर 43 हज़ार से ज्यादा लोगों ने भरोसे की बुनियाद मजबूत की है। यह सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, यह उस विश्वास की लहर है जो जनता ने खुद खड़ी की है।
जहां हर व्यू, हर शेयर, हर लाइक सच्चाई के लिए दिया गया वोट है। “उत्तराखंड की सच्चाई” अब एक चैनल नहीं रहा, यह एक जनक्रांति बन चुका है — ऐसा जनांदोलन, जो मोबाइल से गांव-शहरों में सच्चाई की मशाल लेकर घूम रहा है। जब बड़े मीडिया हाउस कैमरे और करोड़ों की फंडिंग के दम पर झूठ को चमका रहे थे, तब इस चैनल ने केवल जनता के प्यार को अपनी पूंजी बनाया, और माइक की जगह जनता की आवाज़ को प्राथमिकता दी। टीम का कहना है।
हमें न TRP की भूख है, न लाइमलाइट का जुनून, हमारी ताकत है वो जनता, जो बिना पूछे हमारे कंटेंट को शेयर करती है, दिल से अपनाती है, और हमें ऑक्सीजन की तरह सम्मान देती है। इस दौर में जब सच्चाई बोलना सबसे मुश्किल हो गया है, “उत्तराखंड की सच्चाई” ने बिना डरे, बिना झुके, सिर्फ सच बोलने का साहस दिखाया है — और यही वजह है कि लोग कह रहे हैं: “ये चैनल नहीं, आग है… और आग भी वो जो सच्चाई की रौशनी से जलती है।”