चार साल से इंतज़ार, अब इलाज भी ‘प्राइवेट’ काशीपुर अस्पताल में नहीं CT स्कैन की सुविधा
शासन की मंज़ूरी, नीति आयोग की सहमति, और फिर भी चार साल से सिर्फ इंतज़ार! काशीपुर का एलडी भट्ट राजकीय चिकित्सालय आज भी सीटी स्कैन मशीन से वंचित है। नतीजा मरीजों को मजबूरी में महंगे निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों का सहारा लेना पड़ रहा है। सरकारी लापरवाही का खामियाज़ा अब सीधे आम जनता की जेब और जान पर पड़ रहा है।
फरवरी 2021 : काशीपुर और रुद्रपुर के सरकारी अस्पतालों के लिए सीटी स्कैन मशीन की मंजूरी मिलती है। चार साल बाद – रुद्रपुर में मशीन काम कर रही है, लेकिन काशीपुर में ज़मीन पर आज तक कोई व्यवस्था नहीं।
एलडी भट्ट राजकीय उपजिला चिकित्सालय, जहां हर दिन उधम सिंह नगर के जसपुर, रामनगर, बाजपुर, केलाखेड़ा, और यूपी के कई इलाकों से सैकड़ों मरीज आते हैं, वहां एक गंभीर सुविधा का अभाव है। सिर की चोट, ब्रेन स्ट्रोक या अन्य लक्षणों में सीटी स्कैन ज़रूरी होता है, लेकिन अस्पताल के पास मशीन ही नहीं। ऐसे में डॉक्टर मरीजों को रेफर कर देते हैं और मरीजों को मजबूरी में 5000 से 8000 रुपये तक खर्च कर निजी जांच करवानी पड़ती है।
गरीब परिवार, जो इलाज की आस में अस्पताल पहुंचते हैं, उनके सामने कर्ज लेने या जांच छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता। स्वास्थ्य विभाग को इस गंभीर कमी की पूरी जानकारी है। खुद सीएमओ डॉ. केके अग्रवाल कह चुके हैं कि डीएम को पत्राचार किया गया है और CSR के ज़रिए जल्द मशीन लगाए जाने की उम्मीद है। लेकिन यह उम्मीद कब पूरी होगी? कोई नहीं जानता।
कोरोना संक्रमण दोबारा दस्तक दे चुका है। अगर महामारी फिर फैलती है तो बिना सीटी स्कैन मशीन के काशीपुर अस्पताल कैसे गंभीर मामलों का इलाज करेगा?
आम जनता पूछ रही है ?
क्या सरकारी अस्पताल अब सिर्फ रेफर करने के लिए रह गए हैं?
क्या इलाज अब सिर्फ अमीरों का अधिकार बन चुका है?
कब जागेगा सिस्टम, और कब मिलेगा काशीपुर को उसका अधिकार?