मौत के मुंह में सवार नौनिहाल, कुंभकरण नींद में सोया परिवहन विभाग
अज़हर मलिक
रामनगर में स्कूल वैन और टेंपों में मासूम बच्चों की ज़िंदगी के साथ लगातार खिलवाड़ हो रहा है, लेकिन परिवहन विभाग गहरी कुंभकरणी नींद में सोया हुआ है। सड़कों पर नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे स्कूली वाहन न केवल ओवरलोडेड हैं बल्कि उनमें बच्चों को ऐसे ठूँस-ठूँस कर भरें जाता है जैसे किसी बाजार से सामान ढोया जा रहा हो। यह नौनिहालों को स्कूल लाने-ले जाने की सेवा नहीं, बल्कि सीधे मौत के मुंह में धकेलने जैसा खतरनाक खेल है। हालात इतने खराब हैं कि एक नज़र सड़कों पर दौड़ते इन वाहनों पर डालते ही समझ आ जाता है कि परिवहन विभाग के नियमों को कैसे खुलेआम पहियों तले रौंदा जा रहा है।
अफसर फाइलों में कार्रवाई दिखाकर अपनी ड्यूटी पूरी मान लेते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत चिल्लाकर बता रही है कि सड़कों पर ज़रा सी चूक किसी बड़े हादसे को जन्म दे सकती है। रामनगर में सुबह और दोपहर के वक्त आपको ऐसे कई वाहन दिख जाएंगे जिनमें सीटों से कई गुना ज़्यादा बच्चे ठूँस दिए जाते हैं। सुरक्षा बेल्ट नहीं, इमरजेंसी निकास नहीं, फिटनेस सर्टिफिकेट की परवाह नहीं — और इन सबके बावजूद विभाग की चुप्पी हर सवाल से बड़ी है।
माता-पिता मजबूरी में अपने बच्चों को इन वाहनों में भेजते हैं, लेकिन यह मजबूरी कब किसी बड़ी त्रासदी में बदल जाए, कहना मुश्किल है। पुलिस और परिवहन विभाग यदि इसी तरह सोते रहे तो कोई भी दिन ऐसा नहीं, जब किसी मासूम की जान सुरक्षित घर पहुंचने के बजाय हादसे की भेंट चढ़ जाए। रामनगर की सड़कों पर दौड़ते ये ओवरलोडेड स्कूल वाहन गवाही हैं कि व्यवस्था पूरी तरह फेल है, और अब भी विभाग की आंखें नहीं खुलीं तो हालात और भी भयावह हो सकते हैं।