मालधन में बंद: नशा नहीं, इलाज दो’ की पुकार—गर्भवती महिलाओं और गरीब ग्रामीणों की चीख बनकर गूंजा आंदोलन
रामनगर। मालधन चौड़ का बाजार आज पूरी तरह बंद रहा। वजह थी इलाज की आस में भटकते गर्भवती महिलाएं, बीमार और गरीब ग्रामीणों का दर्द। महिला एकता मंच के नेतृत्व में चल रहे नशा नहीं, इलाज दो अभियान के तहत जनता ने अपना सबकुछ दांव पर लगाकर यह साफ संदेश दिया कि अब क्षेत्रवासी केवल दवाई और डॉक्टर ही नहीं, बल्कि जीवित रहने का हक मांग रहे हैं।
सुबह सात बजे से ही महिलाएं, बुजुर्ग, युवा और आम ग्रामीण सड़क पर उतर आए। दिन में एक बजे हजारों की भीड़ ने मालधन चौड़ चौराहे पर धरना दिया और जुलूस निकालकर सरकार से सवाल पूछ क्या गरीब की जान की कीमत नहीं।
गर्भवती महिलाओं का दर्द बना आंदोलन की जड़
मालधन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से फिजिशियन डॉ. प्रशांत कौशिक और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना कौशिक का ट्रांसफर क्षेत्र की सबसे बड़ी चोट बन गया है। प्रसव पीड़ा झेलती महिलाओं के लिए अब सबसे नजदीकी अस्पताल तक पहुंचना मौत और जिंदगी की जंग है।
गोल्डन आवर यानी किसी भी दुर्घटना या प्रसव के पहले घंटे को चिकित्सक जीवन बचाने का समय मानते हैं। लेकिन जब डॉक्टर ही उपलब्ध न हों तो इस ‘गोल्डन आवर’ का मतलब है। गरीब महिला और उसका अजन्मा बच्चा मौत के हवाले करना।
गरीबों के लिए इलाज सपना, शराब हकीकत
सभा में बोलते हुए भगवती आर्य ने सरकार पर तीखा वार किया। उन्होंने कहा भाजपा सरकार ने डॉक्टरों का तबादला कर मालधन की 40 हजार की आबादी को अस्पताल में तड़प-तड़पकर मरने के लिए छोड़ दिया है। जबकि यही सरकार जनता को इलाज देने की बजाय शराब के ठेके खोलकर नशा परोस रही है।”
ममता देवी ने भी सवाल उठाया कि सरकार ने 14 मई को नए शराब के ठेके बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन गोपालनगर में पुनः खोली गई दुकान आज भी ग्रामीणों को नशे की आग में झोंक रही है।
जनता का अपार समर्थन, चेतावनी भी तीखी
इस बंद को मेडिकल स्टोर, दूध व्यवसायी, हलवाई, फड़-खोखा से लेकर हर छोटे-बड़े दुकानदार का पूरा समर्थन मिला। यह सिर्फ बाजार बंद नहीं था बल्कि जनता का दर्द और आक्रोश था।
महिला एकता मंच ने चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो भाजपा नेताओं का थाली-डंडा बजाकर घेराव किया जाएगा और अनिश्चितकालीन चक्का जाम होगा।
एक मंच पर एकजुट हुए संगठन और ग्राम प्रधान
सभा को सरस्वती जोशी, तुलसी छिम्वाल, ग्राम प्रधान जगमोहन, संजीव, सुमित कुमार, किसान संघर्ष समिति के ललित उप्रेती, समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, युवा एकता मंच के इन्द्रजीत व अन्य नेताओं ने संबोधित कर आंदोलन को और मजबूत किया।
महिला एकता मंच की संयोजक विनीता टम्टा और उत्तराखंड जनमंच के महेन्द्र आर्य ने क्षेत्र की जनता को आभार जताया और कहा कि यह लड़ाई गर्भवती महिलाओं और गरीब ग्रामीणों के जीवन बचाने की है।
मालधन बंद सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि इलाज की आस में कराहती माताओं, असहाय बीमारों और गरीब ग्रामीणों की वह चीख है जिसे अब अनसुना करना सरकार के लिए आसान नहीं होगा।