सीएम हेल्पलाइन की शिकायते अधिकारियो के ठेंगे पर मालधन चौड़ के मोहननगर में लकड़ी माफियाओं का बोलबाला, सिंचाई विभाग की नाकामी उजागर

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सीएम हेल्पलाइन की शिकायते अधिकारियो के ठेंगे पर मालधन चौड़ के मोहननगर में लकड़ी माफियाओं का बोलबाला, सिंचाई विभाग और जिम्मेदारो की नाकामी उजागर

                        सलीम अहमद साहिल 

रामनगर, 19 अक्टूबर 2025

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रामनगर के मालधन चौड़ क्षेत्र के मोहननगर गांव में लकड़ी माफियाओं का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। दिनदहाड़े कटर मशीनों से यूकेलिप्टस के हरे-भरे पेड़ों को धराशायी किया जा रहा है, जबकि सिंचाई विभाग और अन्य जिम्मेदार विभाग मूकदर्शक बने हुए हैं।

 

स्थानीय लोगों का आरोप है कि सिंचाई विभाग की सरकारी भूमि पर लगे लाखों रुपये मूल्य के पेड़ों को लकड़ी तस्कर खुलेआम काटकर बेच रहे हैं। इस संबंध में विभाग को बार-बार शिकायतें देने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इतना ही नहीं, यह मामला सीएम हेल्पलाइन पर भी दर्ज है, लेकिन विभागीय अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा।

 

 

सूत्रों के अनुसार, गुरनाम सिंह पुत्र जगतार सिंह, सावन सिंह और अमर सिंह पुत्रगण गुरनाम सिंह पर पहले भी सरकारी भूमि पर लगे पेड़ों की अवैध कटाई के आरोप लग चुके हैं। बताया जा रहा है कि अब तक ये लोग दो बार में करीब 100 हरे पेड़ काटकर बेच चुके हैं। विभाग की टीम मौके पर पहुंचने के बाद भी कार्रवाई करने के बजाय कथित रूप से माफियाओं से साठगांठ कर बैठी।

 

स्थानीय निवासियों का कहना है कि सुबह से ही कटर मशीनों की आवाजें पूरे इलाके में गूंज रही हैं और एक बार फिर यूकेलिप्टस के हरे पेड़ धराशायी किए जा रहे हैं। इन आरोपितों पर रामनगर कोतवाली में एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज बताए जा रहे हैं, इसके बावजूद प्रशासनिक कार्रवाई का अभाव माफियाओं के हौसले और बुलंद कर रहा है।

 

राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार सीएम हेल्पलाइन पर आई शिकायतों के त्वरित निस्तारण के निर्देश दे रहे हैं और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को फटकार भी लगा चुके हैं। बावजूद इसके, सिंचाई विभाग के अधिकारियों के रवैये से यह साफ झलकता है कि उन्हें न तो मुख्यमंत्री की सख्ती का भय है, न ही जनता की शिकायतों की परवाह।

 

यह पूरा मामला सिंचाई विभाग की घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार का प्रतीक बनकर सामने आया है। लाखों की सरकारी संपत्ति को तस्कर दिन के उजाले में काटकर ले जा रहे हैं और विभाग आंख मूंदे बैठा है। जनता अब सवाल उठा रही है — आखिर कब तक सरकारी जमीन पर पर्यावरण की यह लूट यूं ही चलती रहेगी? क्या जिम्मेदार अधिकारी कभी जागेंगे या फिर ये माफिया सरकारी संरक्षण में जंगल को ही बेच डालेंगे?

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