रामनगर में वन गुर्जर माफिया की घिनौनी साजिश सीसीटीवी कैमरे और अवैध गतिविधियाँ

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रामनगर में वन गुर्जर माफिया की घिनौनी साजिश सीसीटीवी कैमरे और अवैध गतिविधियाँ

सलीम अहमद साहिल 

रामनगर (तराई पश्चिमी डिवीजन): आमपोखरा रेंज के तुमाड़िया खात्ते में जंगल और पानी के स्रोतों के पास बिना अनुमति के लगाए गए हाईटेक सीसीटीवी कैमरों के मामले में वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। यह कैमरे वन गुर्जर माफिया द्वारा लगाए गए थे, जिनके खिलाफ पहले से ही वन अधिनियम के तहत कई मामले पंजीकृत हैं।

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इस घटनाक्रम का खुलासा तब हुआ जब वन विभाग को सूचनाएँ मिलीं कि इन कैमरों के जरिए जंगलों और वहां रहने वाले वन्यजीवों की गतिविधियाँ रिकॉर्ड की जा रही हैं। हालांकि, जब डीवीआर (डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर) को वन विभाग ने अपने कब्जे में लेने का प्रयास किया, तो माफिया मो० सफी पुत्र मोहम्मद आलम ने उसे देने से मना कर दिया, जिससे संदेह और भी गहरा गया कि इन कैमरों का उद्देश्य केवल जंगल की सुरक्षा नहीं, बल्कि किसी काले कारोबार के संचालन में मदद करना था।

 

 

 

 

इन सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से, जहां एक ओर वन्यजीवों की गतिविधियाँ कैद हो रही थीं, वहीं दूसरी ओर यह सवाल उठता है कि क्या इन कैमरों का इस्तेमाल जंगल में हो रही अवैध गतिविधियों जैसे शिकार, खनन या अतिक्रमण पर नजर रखने के लिए किया जा रहा था?

 

वन विभाग के अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया और डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य के निर्देश पर एसडीओ संदीप गिरी और रेंजर पूरन सिंह खानायत ने अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचकर इन कैमरों को जब्त किया। इसके बाद, जांच में यह भी सामने आया कि इस माफिया का आपराधिक इतिहास बहुत पुराना है और उसके खिलाफ रामनगर कोतवाली और वन विभाग में पहले से ही एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं।

 

विभागीय सूत्रों के अनुसार, यदि डीवीआर को कब्जे में लिया जाता है, तो कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आ सकती हैं। यह सवाल अब भी अनुत्तरित है कि क्या इन कैमरों के माध्यम से केवल वन्यजीवों पर निगाह रखी जा रही थी या फिर इनकी आड़ में कोई अवैध कारोबार चल रहा था।

 

यह मामला दिखाता है कि वन विभाग को अब वन गुर्जर माफिया और उनकी अवैध गतिविधियों को पूरी तरह से बेनकाब करने की आवश्यकता है। सीसीटीवी कैमरों की आड़ में चल रहे किसी भी अवैध कारोबार को खत्म करना अब विभाग की प्राथमिकता बन गया है।

 

 

विभाग ने इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और जल्द ही इस मामले में और भी राज सामने आ सकते हैं। एक ओर बात यह भी है कि जंगलों में इस प्रकार की अवैध गतिविधियों से वन्यजीव संरक्षण पर गंभीर असर पड़ सकता है, और इन माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।

 

 

 

वन विभाग ने माफिया मो० सफी पुत्र मोहम्मद आलम, जैनब खातून पत्नी मो० सफी, और मो० असरफ पुत्र मो० सफी, निवासी- तुमड़िया खत्ता, आमपोखरा रेंज, थाना रामनगर के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं।

 

इन व्यक्तियों के खिलाफ वन विभाग और कोतवाली रामनगर में पहले से ही लगभग एक दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। उनकी अवैध गतिविधियों को लगातार आपकी खबरों के माध्यम से उजागर किया जाता रहा है, जो सराहनीय है। इससे यह साबित होता है कि पत्रकारिता के माध्यम से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।

 

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