शिक्षित युवा और महिला नेतृत्व की दस्तक पंचायत चुनाव में: चिल्किया से एडवोकेट गुलफ्शा मैदान में
सलीम अहमद साहिल
रामनगर: उत्तराखंड की राजनीति में लंबे समय से जमी जड़ें अब हिलती नजर आ रही हैं। पढ़े-लिखे युवाओं की नई सोच और ऊर्जा अब राजनीति की पुरानी परंपराओं को चुनौती देने के लिए मैदान में उतर चुकी है। आने वाला वक्त इस बदलाव का गवाह बन सकता है, खासकर तब जब उत्तराखंड के पंचायत चुनावों में नई पीढ़ी अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रही हो।
उत्तराखंड में चल रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव भी इस नई बदलती राजनीतिक से अछूते नहीं हैं। जहां एक ओर पुराने राजनैतिक चेहरे अपनी पकड़ को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पढ़े-लिखे युवाओं का आत्मविश्वास और जोश बड़े दिग्गजों के लिए चुनौती बनकर उभर रहा है।
इसी क्रम में रामनगर न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्यरत एडवोकेट गुलफ्शा ने भी जनसेवा के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला लिया है। उन्होंने जिला पंचायत सदस्य पद के लिए चिल्किया सीट रामनगर से नामांकन किया है और पूरे जोश के साथ अपने समर्थकों संग प्रचार अभियान में जुट गई हैं।
गुलफ्शा का कहना है कि,
“राजनीति को अब पढ़े-लिखे युवाओं की जरूरत है, खासकर महिलाओं को जब आगे आने का मौका मिलता है तो वे समाज में संवेदनशील और ज़मीनी मुद्दों को बेहतर ढंग से समझ और सुधार सकती हैं।”
न्यायपालिका से जुड़ी पेशेवर पृष्ठभूमि से और समाज की पीड़ित महिलाओं के अधिकारों की आवाज बनने वाली एडवोकेट गुलफ्शा अब निचली सियासी पायदान से अपनी भूमिका शुरू करना चाहती हैं, ताकि भविष्य में व्यापक स्तर पर समाज के विकास में भागीदारी निभा सकें।
चिल्किया सीट पर चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प हो चला है। जहां परंपरागत प्रत्याशी अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में हैं, वहीं युवा प्रत्याशी एडवोकेट गुलफ्शा भविष्य की राजनीति का नया रास्ता दिखाने को तैयार हैं। यह सीट किसके सिर ताज रखेगी, यह तो परिणाम बताएंगे, लेकिन इतना तय है कि इस बार मतदाता विकल्पों को लेकर अधिक सजग और जागरूक हैं।
उत्तराखंड को अब गुलफ्शा जैसे ही पढ़े-लिखे, ज़मीन से जुड़े, और संवेदनशील नेतृत्व की ज़रूरत है जो केवल कुर्सी के लिए नहीं, परिवर्तन और सेवा के लिए राजनीति में आए।