रामनगर: कॉर्बेट परिचय केंद्र म्यूजियम में रामनगर बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं का शैक्षिक भ्रमण। क्या है कॉबेट की ऐतिहासिक और पर्यावरणीय विरासत।

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रामनगर: कॉर्बेट परिचय केंद्र म्यूजियम में रामनगर बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं का शैक्षिक भ्रमण। क्या है कॉबेट की ऐतिहासिक और पर्यावरणीय विरासत।

सलीम अहमद साहिल 

रामनगर बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने धनगढ़ी कॉर्बेट म्यूजियम में एक शैक्षिक भ्रमण किया। इस भ्रमण का उद्देश्य न केवल कॉर्बेट नेशनल पार्क और जिम कॉर्बेट की विरासत को समझना था, बल्कि रामनगर के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व को भी करीब से जानना था।

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धनगढ़ी कॉर्बेट म्यूजियम: रामनगर की कहानी का जीवंत दस्तावेज

धनगढ़ी में स्थित कॉर्बेट परिचय केंद्र (Interpretation Centre) केवल जिम कॉर्बेट के जीवन या वन्यजीवों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रामनगर और कॉर्बेट नेशनल पार्क के आसपास के क्षेत्रों के इतिहास, संस्कृति और विकास की एक जीवंत कहानी प्रस्तुत करता है। म्यूजियम का उद्देश्य पर्यटकों और स्थानीय लोगों को इस क्षेत्र की समृद्ध विरासत से परिचित कराना है, जो प्रकृति, इतिहास और संरक्षण के अनूठे संगम को दर्शाता है।

 

रामनगर की स्थापना: एक ऐतिहासिक झलक

 

म्यूजियम के भित्ति चित्र, नक्शे और मॉडल रामनगर की स्थापना की कहानी को जीवंत करते हैं। 1856 में ब्रिटिश अफसर हेनरी रैम्ज़े ने घने जंगलों से भरे इस तराई क्षेत्र में एक नए नगर की नींव रखी। उस समय यह क्षेत्र हाथियों, बाघों और अन्य वन्यजीवों का निवास स्थान था। अंग्रेजों ने यहाँ वन विभाग की चौकियाँ, रेलवे स्टेशन और प्रशासनिक भवन स्थापित किए, जिसके बाद यह क्षेत्र “रामनगर” के नाम से जाना गया, जिसका नामकरण हेनरी रैम्ज़े के सम्मान में किया गया। शुरू में शिकार के लिए प्रसिद्ध यह क्षेत्र धीरे-धीरे वन्यजीव संरक्षण का एक प्रमुख केंद्र बन गया।

 

जिम कॉर्बेट और रामनगर: एक अटूट रिश्ता

 

म्यूजियम में जिम कॉर्बेट की विशाल तस्वीरें और नक्शे इस क्षेत्र के साथ उनके गहरे जुड़ाव को दर्शाते हैं। कॉर्बेट ने रामनगर और इसके आसपास के क्षेत्रों जैसे कैलाश, ढेला, पवलगढ़, कालाढूंगी और चोरपानी में आदमखोर बाघों और तेंदुओं को मारकर स्थानीय लोगों को राहत दिलाई थी। म्यूजियम का एक विशेष सेक्शन यह भी दर्शाता है कि कैसे कॉर्बेट ने “शिकारी से संरक्षणवादी” की भूमिका अपनाई। उनके प्रयासों का परिणाम 1936 में भारत के पहले नेशनल पार्क—हैली नेशनल पार्क (वर्तमान में कॉर्बेट नेशनल पार्क)—के रूप में सामने आया, जिसकी शुरुआत रामनगर से ही हुई।

 

म्यूजियम में क्या है खास?

 

धनगढ़ी कॉर्बेट म्यूजियम में कई आकर्षक प्रदर्शनियां हैं, जो आगंतुकों को इस क्षेत्र की विरासत और जैव-विविधता से रूबरू कराती हैं:

3D नक्शा: कॉर्बेट पार्क और रामनगर की भौगोलिक संरचना, जिसमें नदियाँ, पहाड़ और गाँवों को दर्शाया गया है।

रामनगर की स्थापना: ब्रिटिश कालीन इमारतों और उनके ऐतिहासिक महत्व की झलक।

वन्यजीव मॉडल: बाघ, हाथी, हिरण, मगरमच्छ आदि के जीवन चक्र को दर्शाने वाले मॉडल।

कॉर्बेट के उपकरण: उनके समय के हथियार, कैमरे और शिकारी उपकरण, जो उनकी कहानियों को जीवंत करते हैं।

 

 

“रामनगर: गेटवे टू कॉर्बेट”: यह सेक्शन रामनगर के कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के प्रवेश द्वार के रूप में महत्व को रेखांकित करता है, जो आज पर्यटकों के लिए एक प्रमुख केंद्र है।

 

आज का महत्व: रामनगर और कॉर्बेट की विरासत

धनगढ़ी म्यूजियम को आज कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व का परिचय द्वार कहा जाता है। यहाँ आने वाले पर्यटक सबसे पहले रामनगर और कॉर्बेट की विरासत, इतिहास और पर्यावरण संरक्षण की कहानी से परिचित होते हैं। यह म्यूजियम जंगलों के विकास से लेकर रामनगर नगर की बसावट तक के सफर को खूबसूरती से प्रस्तुत करता है। यह न केवल पर्यटकों के लिए, बल्कि स्थानीय समुदाय और पेशेवरों, जैसे कि रामनगर बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं के लिए भी ज्ञानवर्धक अनुभव प्रदान करता है।

अधिवक्ताओं का अनुभव

रामनगर बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने इस शैक्षिक भ्रमण के दौरान म्यूजियम की प्रदर्शनियों का गहन अवलोकन किया। अध्यक्ष ललित मोहन तिवारी ने कहा, “यह भ्रमण हमारे लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि इसने हमें अपने शहर रामनगर और कॉर्बेट की ऐतिहासिक और पर्यावरणीय विरासत के प्रति गर्व का अनुभव कराया।” उपसचिव रणजीत सिंह ने म्यूजियम के शैक्षिक महत्व की सराहना करते हुए कहा कि यह युवा पीढ़ी और पेशेवरों के लिए प्रेरणादायक है।

 

 

इस शैक्षिक भ्रमण में उपस्थित अधिवक्ताओं—ललित मोहन तिवारी, ललित मोहन पाण्डेय, संतोष देवरानी, रंजीत सिंह, गणेश कुमार गगन, मोहम्मद यूनुस, बलवंत सिंह, मीनाक्षी जोशी, भागीरथी बेलवाल, नीलम ताड़ियाल, सुनीता कन्नौजिया, संजय कन्नौजिया, दीपक जोशी, गुलफ्शा, अनिल कुमार शर्मा, रवि तिवारी, गौरव तिवारी और सिद्धार्थ अग्रवाल—ने इस अनुभव को एक यादगार और प्रेरणादायक अवसर बताया।

निष्कर्ष

धनगढ़ी कॉर्बेट म्यूजियम रामनगर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संजोए हुए है, जो कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के साथ इस क्षेत्र की पहचान को और मजबूत करता है। रामनगर बार एसोसिएशन का यह शैक्षिक भ्रमण न केवल इस विरासत को समझने का एक प्रयास था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे स्थानीय समुदाय अपनी जड़ों और पर्यावरण के प्रति जागरूक हो रहा है। यह म्यूजियम निश्चित रूप से हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है, जो प्रकृति, इतिहास और संरक्षण के इस अनूठे संगम को समझना चाहता है।

 

इस आयोजन में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित मोहन तिवारी, उपाध्यक्ष ललित मोहन पाण्डेय, सचिव संतोष देवरानी, उपसचिव रंजीत सिंह, गणेश कुमार गगन, मोहम्मद यूनुस, बलवंत सिंह, मीनाक्षी जोशी, भागीरथी बेलवाल, नीलम ताड़ियाल, सुनीता कन्नौजिया, संजय कन्नौजिया, दीपक जोशी, गुलफ्शा, अनिल कुमार शर्मा, रवि तिवारी, गौरव तिवारी, निशारुद्दीन, सिद्धार्थ अग्रवाल अज़हर खान, साइन, सहित बड़ी संख्या मे अधिवक्ता उपस्थित रहे।

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