कॉर्बेट सफारी में दिखा मोदी स्टाइल, धामी ने दोहराया जंगल का मंत्र”

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कॉर्बेट सफारी में दिखा मोदी स्टाइल, धामी ने दोहराया जंगल का मंत्र”

: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली और जनसंपर्क की रणनीति को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बखूबी आत्मसात कर रहे हैं। धामी की जनभागीदारी, पर्यावरण जागरूकता और जंगल सफारी जैसे अभियानों में बढ़-चढ़कर भागीदारी से यह साफ झलकता है कि वह प्रधानमंत्री मोदी की तरह ही जनभावनाओं से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं। हाल के वर्षों में यह कई बार देखने को मिला है कि मुख्यमंत्री धामी का अंदाज, सक्रियता और प्रस्तुति, कहीं न कहीं प्रधानमंत्री मोदी की छवि की झलक देती है

 

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— और अब एक बार फिर ऐसा ही नज़ारा सामने आया। गौरतलब है कि अगस्त 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मशहूर ब्रिटिश एडवेंचरर Bear Grylls के साथ जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (उत्तराखंड) में ‘Man vs Wild’ शो की शूटिंग की थी। इस दौरान उन्होंने कोसी नदी पार की, घने जंगल में ट्रेक किया और पर्यावरण संरक्षण को लेकर संवाद किया। इस ऐतिहासिक सफर के बाद पर्यटन विभाग द्वारा “Modi Circuit” की अवधारणा पर काम भी शुरू हुआ, जिसमें वे सभी स्थल शामिल किए गए जहाँ प्रधानमंत्री मोदी का कदम पड़ा था। यह अब उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र का गौरवशाली हिस्सा बन गया है। और अब उसी कॉर्बेट नेशनल पार्क में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी ने एक बार फिर वही जोश और उत्साह दोहरा दिया।

 

 

 

जंगल सफारी के दौरान मुख्यमंत्री ने वन्यजीवन की अद्भुत और रोमांचकारी झलक का अनुभव किया। 7-खिड़की वाले कपोला जैसे मॉड्यूल से पृथ्वी के प्राकृतिक सौंदर्य को देखना हो या जंगल के भीतर हाथियों, हाथ में लाठी और वन विभाग के रेंजर्स के साथ गश्त करना — धामी की यह पूरी यात्रा हर उस व्यक्ति को मोदी की Man vs Wild यात्रा की याद दिला गई। इस अवसर पर ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत 1000 से अधिक पौधे रोपे गए। यह केवल वृक्षारोपण नहीं बल्कि मातृत्व और प्रकृति के प्रति आभार का सांकेतिक संदेश था। मुख्यमंत्री ने वन विभाग की टीम से भी संवाद किया, उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की और पर्यावरणीय संरक्षण के प्रयासों को और मजबूती देने का संकल्प दोहराया। इस पूरे अभियान में एक बात बेहद साफ नज़र आई — धामी केवल एक मुख्यमंत्री नहीं बल्कि उत्तराखंड के ब्रांड एंबेसडर की भूमिका में सामने आ रहे हैं। चाहे जंगल सफारी हो, पर्यावरण चेतना या स्वरोजगार को बढ़ावा देना — वह हर पहलू में एक ऐसे नेता के रूप में उभर रहे हैं जो जनता से जुड़ना जानते हैं, बिल्कुल उसी तरह जैसे कभी प्रधानमंत्री मोदी ने कॉर्बेट की यात्रा में पूरी दुनिया को भारत की जैव विविधता से जोड़ दिया था।

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