रामनगर में परिवहन विभाग की लापरवाही ओवरलोड वाहनों का खतरा, बड़ी त्रासदी की आहट
सलीम अहमद साहिल
उत्तराखंड में मार्चुला हादसे के बाद जहां परिवहन विभाग ने ओवरलोड और नियमों को ताक पर रखने वाले वाहनों पर शिकंजा कसने का दावा किया था, वहीं रामनगर में स्थिति बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दिए गए कड़े निर्देशों के बावजूद यहां के परिवहन विभाग की लापरवाही खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है।
रामनगर की सड़कों पर ओवरलोड और अवैध वाहन बेखौफ दौड़ रहे हैं। इनमें लकड़ी के गिल्टों से लदे बिना कमर्शियल परमिट वाले और बिना नंबर प्लेट वाले वाहन शामिल हैं, जो हर दिन सड़क सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन रहे हैं। इन वाहनों की अनियंत्रित आवाजाही किसी भी समय एक बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।
मार्चुला में हुए भीषण सड़क हादसे, जिसमें 34 लोगों की जान गई थी, ने पूरे उत्तराखंड को झकझोर दिया था। इस त्रासदी के बाद प्रदेशभर में ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई का अभियान चलाया गया था। लेकिन रामनगर में यह अभियान महज दिखावा साबित हो रहा है।
रामनगर के परिवहन अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। सड़कों पर दौड़ रहे आवर हाइट और ओवरलोड वाहनों को रोकने की कोई पहल नहीं हो रही। इन वाहनों की पहचान मुश्किल है क्योंकि इनमें से कई के आगे नंबर प्लेट तक नहीं लगी हैं। अगर कोई दुर्घटना होती है, तो प्रशासन के लिए इन वाहनों के मालिकों का पता लगाना भी चुनौतीपूर्ण होगा।
रामनगर की स्थिति यह सवाल खड़ा करती है कि क्या प्रशासन किसी बड़ी त्रासदी का इंतजार कर रहा है? मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों और मार्चुला जैसी घटना के बाद भी कार्रवाई का अभाव अधिकारियों की लापरवाही को उजागर करता है।
यदि समय रहते इन वाहनों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो रामनगर में मार्चुला जैसी भयावह घटना दोहराने से कोई नहीं रोक सकता। प्रशासन को चाहिए कि ओवरलोड और अवैध वाहनों पर तुरंत शिकंजा कसे और परिवहन अधिकारियों की जवाबदेही तय करे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।