रोहित गोस्वामी का झूठ बेनकाब! वन विभाग की टेंडर प्रकिया मे हो रहे कार्य को तस्करी बताने की साजिश
अज़हर मलिक
रामनगर : सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैलाकर सनसनी मचाने की कोशिश करना अब एक नया ट्रेंड बनता जा रहा है। लेकिन जब सच्चाई सामने आती है, तो ऐसे लोगों के इरादे भी उजागर हो जाते हैं।
जो सोसाल मिडिया की किसी भी खबर को कही से भी उठा कर चलाना रोहित गिस्वामी की आदतों मे सुमार हो चूका है। ऐसा इसलिए बोल रहे है। कुछ दिन पूर्व भी रोहित गोस्वामी ने किसी वेपसाइड की खबर कॉपी की जिसमे कुट्टी मशीन की वीडियो कॉबेट पार्क की बताई गई थी उसी वीडियो को रोहित गोस्वामी ने और उस खबर को कॉपी कर के पूरा मामला तराई पश्चिमी डिवीजन के अधिकारियो का बना कर सोसल मिडिया पर वायरल कर दिया था रोहित गोस्वामी को ना तो पत्रकारिता की गरिमा का पता है और ना ही खबरे बनाने की कोई कुब्बत है।
एक बार फिर ताजा मामला रामनगर के पत्रकार रोहित गोस्वामी से जुड़ा है, जिन्होंने अपने फेसबुक पेज ‘रामनगर हेडलाइन’ पर एक वीडियो पोस्ट कर यह दावा किया कि जंगल सफाई के नाम पर लकड़ी तस्करी हो रही है। लेकिन जब इस खबर की सच्चाई सामने आई, तो यह पूरी तरह से झूठ और मनगढ़ंत निकली।
असल में, वन विभाग ने 2 अप्रैल को जो गाड़ियों को अपनी कस्टडी में लिया था, ये कार्य टेंडर प्रकिया के तहद चल रहा था वन विभाग को झूटी सुचना देकर गुमराह किया गया की सफाई के नाम पर हरे पेड़ काटकर ट्रेक्टर ट्रोलियो मे भरे जा रहे है वन विभाग ने उन ट्रेक्टर ट्रोलियो को तुरंत जांच के लिए अपने कब्जे मे ले लिया लेकिन इनमें किसी भी तरह के हरे पेड़ और गैरकानूनी तरीके से काटी गई लकड़ी नहीं थी।
ये गाड़ियां सिर्फ जांच के लिए रोकी गई थीं ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि कोई अवैध गतिविधि तो नहीं हो रही है। लेकिन बिना किसी ठोस जानकारी के, रोहित गोस्वामी ने इस घटना को तोड़-मरोड़कर पेश कर दिया और इसे तस्करी से जोड़ने की कोशिश की। ओर दावा किया है कि तस्करी उत्तर प्रदेश की जा रही है। लेकिन इस खेल को और भी दिलचस्प बनाने के लिए एक ऐसी गाड़ी को दिखाया गया जो 2 , 3 महीने से वन विभाग से अपने कब्जे में ले रखी है,मतलब की जो मन ना आए वह लिखो और पोस्ट कर दो कोई क़ानूनी पथ पर चलने को तैयार नहीं, इतना ही नहीं अपने पेज से रोहित द्वारा पहले भी एक ऐसी वीडियो अपलोड की गई है जिस को कहना संभव नहीं है की वीडियो कब की है, लेकिन वन विभाग को टारगेट करने के चलते रोहित गोस्वामी द्वारा पोस्ट कर दी गई। वन विभाग पर ही एलीवेशंस लगाए गए बल्कि अवैध खनन को रोकने के लिए और विभाग होते है।
गौर करने वाली बात यह है कि रोहित गोस्वामी ने यह वीडियो राहत नाम के एक व्यक्ति से लिया था, जो काशीपुर का रहने वाला है और खुद एक ठेकेदार है। जिस बीट में राहत को ठेका मिला था, वहां से पेड़ों की चोरी की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं।
सवाल ये भी उठता है की रोहित गोस्वामी की ऐसा कोनसा ब्यक्तिगत हित है जिसके पूरा ना होने पर रोहित के द्वारा लगातार सोसल मिडिया पर हर किसी मामले को तराई पश्चिमी डिविजन से जोड़कर वायरल किया जा रहा है और लगातार तराई पश्चिमी डिविजन की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है ये जांच का विषय है
यही नहीं, वन निगम की ओर से इस ठेकेदार पर कोई सख्त कार्रवाई करने के बजाय, उसे लगातार संरक्षण दिया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि आखिर वन निगम इस ठेकेदार पर इतनी मेहरबान क्यों है? क्या यह पूरा मामला वन निगम और कुछ ठेकेदारों की मिलीभगत का हिस्सा है? और क्या रोहित गोस्वामी इस झूठी खबर के जरिए असली खेल को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।