रामनगर महाविद्यालय में जुटेंगे देशभर के विद्वान होगी मानव स्वास्थ्य एवं कल्याण में निरंतरता पर चर्चा
मोहम्मद कैफ खान
रामनगर पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर में देशभर के विद्वान मानव स्वास्थ्य एवं कल्याण पर चर्चा हेतु आगामी 18 व 19 मार्च को जुटेंगे। बता दें कि रामनगर महाविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है जिसका शीर्षक स्वास्थ्य एवं हितों में निरंतरता: संभावनाएं,मुद्दे एवं चुनौतियां है।भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली आईसीएसएसआर द्वारा प्रायोजित रामनगर में यह पहली राष्ट्रीय संगोष्ठी है जिसमें देशभर के विद्वान शिक्षाविद, वैज्ञानिक, शोधकर्ता व नीतिनिर्धारक मानव स्वास्थ्य एवं भलाई में निरंतरता पर विचार विमर्श करेंगे। प्राचार्य प्रोफेसर एम.सी पाण्डे ने बताया कि यह राष्ट्रीय संगोष्ठी गृह विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित की जाएगी जिसके लिए आयोजक सचिव की जिम्मेदारी गृह विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निवेदिता अवस्थी को दी गई है। इस संगोष्ठी में सतत विकास निरंतरता संभावनाएं, मुद्दे और चुनौतियां, आर्थिक विकास,राष्ट्रीय विकास,वादे लक्ष्य और वर्तमान उपलब्धि, स्वास्थ्य तंत्र में अवसर मुद्दे एवं चुनौतियां तथा लोक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण में संबंध,मानवीय,सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय निरंतरता, प्राकृतिक संसाधन, स्वास्थ्य एवं पोषण,स्वास्थ्य संरक्षण,अपशिष्ट उत्पादन एवं प्रबंधन आदि विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।संगोष्ठी के प्रथम दिवस में उद्घाटन सत्र में मुख्य संरक्षक माननीय उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखंड सरकार धन सिंह रावत, संरक्षक निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड प्रोफेसर सी.डी.सूंठा शिरकत करेंगे। आयोजक सचिव डॉ.निवेदिता अवस्थी ने बताया कि इस संगोष्ठी में भारत देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के मूर्धन्य विद्वान शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों शोधकर्ताओं तथा नीति निर्धारकों द्वारा अपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। महाविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर जी.सी.पंत व महाविद्यालय शोध एवं प्रसार समिति के संयोजक डॉ. एस.एस. मौर्य ने समस्त शोधार्थियों से उच्च स्तरीय गुणवत्तायुक्त शोध की अपेक्षा की है।आयोजन समिति में प्रो.अनीता जोशी समन्वयक, डॉ.योगेश चन्द्र सह आयोजक सचिव,डॉ.प्रमोद जोशी,डॉ.डी.एन.जोशी,
डॉ.दीपक खाती,डॉ.पी.सी.पालीवाल,डॉ.शिप्रा पन्त,डॉ.सुभाष चन्द्र पोखरियाल सदस्य हैं।
स्वास्थ्य पर्यावरण और जैविक क्षमता की विविधता को बनाए रखते हुए दीर्घकाल तक उत्पादन क्षमता को स्थिर रख पाना ही सतत विकास या संधारणीयता का मुख्य लक्ष्य होता है। सीमित प्राकृतिक संसाधनों को किस तरह से उपयोग में लाया जाए की वर्तमान पीढ़ी के साथ भविष्य में भी आगामी पीढ़ियां उससे लाभान्वित हो सकें।
–प्रोफेसर एम.सी. पाण्डे (प्राचार्य)
स्वास्थ्य प्रणाली के संदर्भ में यह और भी प्रासंगिक है क्योंकि यह एक ऐसे सकारात्मक विकास की ओर इंगित करता है जिसमें वर्तमान समाज के पोषण और स्वास्थ्य की रक्षा के साथ-साथ भविष्य की आवश्यकताओं को भी पूर्ण कर सकने की क्षमता निहित हो।