पढ़ी-लिखी युवा नेता नेहा कांडपाल का चुनावी रण में दबदबा, विरोधियों में मचा हड़कंप। राहुल कांडपाल की राजनीति दिख रही है असर

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पढ़ी-लिखी युवा नेता नेहा कांडपाल का चुनावी रण में दबदबा, विरोधियों में मचा हड़कंप। राहुल कांडपाल की राजनीति दिख रही है असर

 

रामनगर के ग्रामीण क्षेत्र गांधीनगर ग्राम पंचायत के आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार की तस्वीर बदली-बदली नजर आ रही है। जहां एक ओर पारंपरिक चेहरे अपनी सियासी पकड़ बनाए रखने की जद्दोजहद में हैं, वहीं दूसरी ओर एक नया, शिक्षित और युवा नेतृत्व सामने आ रहा है। इस बदलाव की सबसे सशक्त प्रतीक बनकर उभरी हैं – नेहा कांडपाल, जो अब गांधी नगर की राजनीति में परिवर्तन की लहर बन चुकी हैं।

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नेहा कांडपाल का नाम इसलिए चर्चा में नहीं है कि वो निवर्तमान क्षेत्र पंचायत सदस्य राहुल कांडपाल की धर्मपत्नी हैं। बल्कि इसलिए भी चर्चा मे है क्योंकि उनके पीछे एक मजबूत राजनीतिक अनुभव, पढ़ाई-लिखाई और छात्र राजनीति का लंबा सफर है। वर्ष 2015 में कुमाऊं यूनिवर्सिटी, नैनीताल की छात्र संघ उपाध्यक्ष रह चुकी नेहा ने उस समय भी यह साबित कर दिया था कि राजनीति में समझ, नेतृत्व और दूरदर्शिता ही असली ताकत होती है।

आज वही नेहा कांडपाल गांव की राजनीति में कदम रखकर न सिर्फ युवाओं को प्रेरित कर रही हैं। बल्कि पंचायत स्तर पर नई सोच, पारदर्शिता के साथ गाँव की जनता मे हाईटेक आधुनिक विकास की उम्मीद भी जगा रही हैं।

छात्र राजनीति से निकली नई सोच

विश्वविद्यालयों में सक्रिय छात्र नेताओं की राजनीतिक समझ, ज़मीनी मुद्दों की पकड़ और बहस की क्षमता उन्हें गांव, नगर और ज़िले की राजनीति में एक नया दृष्टिकोण देती है। नेहा कांडपाल जैसी छात्र नेता जब पंचायत स्तर की राजनीति में उतरती हैं, तो समाज को एक नई दिशा मिलती है। यह केवल चुनाव लड़ने का सवाल नहीं है बल्कि नई राजनीतिक संस्कृति गढ़ने का प्रयास है।

राहुल कांडपाल की रणनीति और अनुभव का मिला साथ

नेहा के साथ उनके पति राहुल कांडपाल का राजनीतिक अनुभव भी जुड़ा हुआ है, राहुल कांडपाल भी कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल में सचिन की कमान संभाल चुके हैं और उसी का यह परिणाम था कि राजनीतिक अनुभव और गांव के बड़े बुजुर्गों की सूझबूझ से अपने गांव में विकास की एक नई गाथा लिखी है राहुल कांडपाल ने क्षेत्र पंचायत सदस्य रहते हुए ज़मीनी स्तर पर बहुत काम किया। उनकी समझ और सरल स्वभाव रणनीति ने नेहा की चुनावी यात्रा को और भी सशक्त बना दिया है। यह संयोजन दिखा रहा है कि नई पीढ़ी की राजनीति केवल जोश से नहीं, अनुभव और सोच के समन्वय से आगे बढ़ रही है।

जनता के बीच बन रहा एकतरफा माहौल

स्थानीय स्तर पर माहौल ऐसा बन चुका है कि जनता नेहा कांडपाल को एक शिक्षित, व्यवहारिक और भरोसेमंद प्रतिनिधि के रूप में देख रही है। ग्रामीणों का साफ़ कहना है अब गांव की बागडोर ऐसे हाथों में हो जो हमारे गाँव का आधुनिक और हाईटेक विकास करे बल्कि हमारी पीड़ा को समझकर समाधान तक लेकर पहुंचे।

परिवर्तन की लहर

नेहा कांडपाल की उम्मीदवारी को लेकर युवाओं में खासा उत्साह है। वे इसे गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और पारदर्शिता पर आधारित विकास की शुरुआत मान रहे हैं। यह केवल एक चुनाव नहीं, यह संकेत है कि अब गांवों में बदलाव के साथ विकास की नई सोच ने दस्तक देदी है। और उसकी अगुवाई पढ़े-लिखे युवा कर रहे हैं।

नेहा कांडपाल का यह चुनाव इस बात का प्रमाण है कि जब युवा, पढ़े-लिखे और छात्र राजनीति से जुड़े लोग लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई पंचायत में उतरते हैं तो सिर्फ सत्ता नहीं समाज की दिशा भी बदलती है। गांधी नगर पंचायत आज इस बदलाव की गवाही दे रही है जहां भविष्य की राजनीति पढ़ाई, समझ और संवेदना के सहारे आकार ले रही है।

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