उत्तराखंड  गरीबी और व्यवस्था की विफलता से जूझ रहे युवाओं का दर्द, एंबुलेंस के लिए नहीं थे पैसे

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उत्तराखंड  गरीबी और व्यवस्था की विफलता से जूझ रहे युवाओं का दर्द, एंबुलेंस के लिए नहीं थे पैसे

अज़हर मलिक

हल्द्वानी (उत्तराखंड): उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के छोटे से गांव बेरीनाग निवासी अभिषेक कुमार की दर्दनाक मौत ने एक बार फिर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं और गरीबी की समस्याओं को उजागर किया है। अभिषेक का निधन हाल ही में हल्द्वानी में हुआ, और उनकी बहन शिवानी को शव को गांव भेजने के लिए बडी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

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शिवानी हल्द्वानी में एक निजी कंपनी में काम करती हैं, जबकि उनका भाई अभिषेक भी दो महीने पहले काम की तलाश में हल्दूचौड़ आया था। एक दिन काम करते समय अभिषेक को सिर में तेज दर्द हुआ और वह घर लौट आया। उसके बाद, उसकी बहन शिवानी ने कई बार कॉल किया, लेकिन जवाब नहीं मिला। दोपहर में शिवानी को सूचना मिली कि उसका भाई रेलवे पटरी के पास बेसुध मिला है, जिसे बाद में अस्पताल लाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

 

 

 

यहां पर सबसे बड़ा सवाल उठता है कि जब शव को घर भेजने की बात आई, तो शिवानी के पास एंबुलेंस के लिए जरूरी पैसे नहीं थे। एंबुलेंस चालक ने शव ले जाने के लिए 10,000 से 12,000 रुपये की मांग की, जो कि शिवानी के लिए संभव नहीं था। अंततः उसने अपने गांव के टैक्सी मालिक से मदद मांगी, और शव को टैक्सी के ऊपर बांधकर बेरीनाग भेजा गया

 

 

यह घटना उत्तराखंड में आज भी स्वास्थ्य सेवाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। एक तरफ जहां सरकारी एंबुलेंस सेवाएं हैं, वहीं दूसरी ओर इन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए पर्याप्त धनराशि न होने से गरीब परिवारों के लिए मुश्किलें बढ़ जाती हैं।

 

 

 

इस दर्दनाक घटना ने प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की जमी

 

 

नी हकीकत और गरीब परिवारों के संघर्ष को सामने लाया है। एक तरफ जहां विकास की बातें होती हैं, वहीं दूसरी तरफ गरीब परिवारों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी जूझना पड़ता है। क्या उत्तराखंड में इस तरह की समस्याओं का समाधान जल्द होगा? यह एक सवाल है जो आज के समाज के लिए बहुत जरूरी बन गया है।

 

 

 

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